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ISRO Successfully Deploys ESA Satellites into Orbit with PSLV C59 Mission


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV-C59/PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह मिशन एक वाणिज्यिक मिशन था, जिसमें न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की ओर से प्रक्षेपित किया गया. PSLV-C59 रॉकेट ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) के PROBA-3 उपग्रह को अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के लिए भेज रहा था.

मिशन की सफलता पर ISRO ने क्या कहा?

ISRO ने ट्वीट कर इस मिशन की सफलता की घोषणा की. इसरो ने लिखा, “PSLV-C59/PROBA-3 मिशन NSIL, ISRO और ESA टीमों के समर्पण को दर्शाता है. यह उपलब्धि वैश्विक अंतरिक्ष नवाचार को सक्षम करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है. हम साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में आगे बढ़ना जारी रखेंगे!”

प्रोबा-3 सैटेलाइट का आखिर मकसद क्या है?

PSLV-C59 रॉकेट न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के विशेष वाणिज्यिक मिशन के तहत प्रोबा-3 अंतरिक्ष यान को एक विशेष प्रकार की कक्षा में भेजेगा. प्रोबा-3 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक खास मिशन है, जिसका मकसद अंतरिक्ष में सटीक उड़ान की क्षमता का परीक्षण करना है. इसमें दो अंतरिक्ष यान होंगे- कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC), जो एक साथ लॉन्च किए जाएंगे. 

इस मिशन के जरिए सूर्य के कोरोना (बाहरी परत) का अध्ययन किया जाएगा. इस सैटेलाइट के जरिए उसके पीछे के रहस्य की गुत्थी को सुलझाया जाएगा. इस मिशन के जरिए ये पता लगाने की कोशिश होगा कि सूर्य का बाहरी हिस्सा यानी कोरोना उसके सतह से भी गर्म क्यों होता है. ये काम कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट के जरिए किया जाएगा. वहीं आकल्टर डिस्क होगा, जो करीब 1.4 मीटर आकार का है और 150 मीटर की दूरी से कोरोना ग्राफ के लेंस पर 8 सेंटीमीटर की छवि बनाएगा.

भारत भी कर रहा है सूर्य का अध्ययन

साल 2023 की सितंबर में इसरो ने मिशन आदित्य एल-1 को लैंग्रेज प्वाइंट 1 पर तैनात किया था. इस मिशन का भी मकसद सूर्य के वातावरण को समझना था. इसके अलावा उससे निकलने वाली गर्म हवा, कोरोनल मास इजेक्शन की फितरत को समझना था. इस मिशन के दौरान यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो की डीप स्पेस लोकेशन और ट्रैकिंग में मदद की थी. 

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