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ISRO Has Launched CE20 Cryogenic Engine Big Breakthrough in Space Technology


ISRO Launched Cryogenic Engine: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार (12 दिसंबर, 2024) को कहा कि CE20 क्रायोजेनिक इंजन ने समुद्र स्तर पर एक महत्वपूर्ण परीक्षण में सफलता हासिल की. प्रोपल्सन टेक्नोलॉजी और देश के स्पेस मिशनों के भविष्य में एक महत्वपूर्ण सफलता है. यह परीक्षण 29 नवंबर को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया था.

इसरो के मुताबिर, परीक्षण ने इंजन की फिर से शुरू करने की क्षमताओं को दिखाया, जो भारत की अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से मानवयुक्त मिशन की राह पर एक महत्वपूर्ण कदम है. पीटीआई के मुताबिक, इसरो ने कहा, “लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर की ओर से स्वदेशी रूप से विकसित सीई20 क्रायोजेनिक इंजन को 19 टन के थ्रस्ट स्तर पर संचालित करने के लिए योग्य बनाया गया है और इसने अब तक छह एलवीएम3 मिशनों को सफलतापूर्वक संचालित किया है.”

गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण है ये सफलता

अंतरिक्ष एजेंसी भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष यान गगनयान मिशन के मद्देनजर इस इंजन पर काम कर रही है. इसे 20 टन का थ्रस्ट लेवल पैदा करने के लिए अपग्रेड किया गया है. इसके अलावा, यह भविष्य में C32 स्टेज के लिए 22 टन का बढ़ा हुआ थ्रस्ट पैदा करने में सक्षम है. इससे एलवीएम3 प्रक्षेपण यान की पेलोड क्षमता में भी सुधार होगा.

परीक्षण की क्या है खासियत?

इस प्रक्रिया के दौरान एक मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का परीक्षण किया गया. इग्नाइटर इंजन को फिर से शुरू करने की क्षमता को सक्षम करने के लिए अभिन्न अंग है. क्रायोजेनिक इंजन को फिर से चालू करना किसी चुनौती से कम नहीं है, खासतौर पर नोजल बंद किए बिना वैक्यूम इग्निशन के मामले में. इसरो ने पुष्टि की है कि पिछले जमीनी परीक्षणों में वैक्यूम इग्निशन को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया जा चुका है.

समुद्र-स्तर परीक्षण ने नोजल के अंदर प्रवाह पृथक्करण जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक अभिनव ‘नोजल सुरक्षा प्रणाली’ पेश की, जो गंभीर कंपन, थर्मल मुद्दों और संभावित क्षति का कारण बन सकती है. इस प्रणाली ने पारंपरिक रूप से ऐसे मूल्यांकनों के लिए उपयोग की जाने वाली उच्च-ऊंचाई परीक्षण (एचएटी) सुविधा की तुलना में एक लागत प्रभावी और कम जटिल परीक्षण प्रक्रिया को सक्षम किया है.

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