Is Chirag Paswan disgruntled with NDA not attend PM Narendra Modi rally because of Nitish Kumar
Bihar News: बिहार में एनडीए (NDA) का मामला फंसता हुआ दिख रहा है. आज बुधवार (6 मार्च) को प्रधानमंत्री हफ्ते भर में दूसरी बार बिहार दौरे पर आ रहे हैं. इससे पहले इशारों ही इशारों में तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान को महागठबंधन में आने का बुलावा भेजा है. क्या वाकई में बिहार में एनडीए के लिए खतरे की घंटी बज गई है.
दरअसल 2 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी औरंगाबाद और बेगूसराय पहुंचे थे. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार सहित एनडीए गठबंधन के तमाम बड़े मौजूद थे, लेकिन एनडीए के अहम सहयोगी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा मौजूद नहीं थे. इसके बाद से सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या चिराग पासवान नाराज हैं और पाला बदलकर महागठबंधन के साथ जा सकते हैं?
तेजस्वी यादव ने दिया ऑफर
वहीं मंगलवार को तेजस्वी यादव ने भी इशारों-इशारों में चिराग पासवान को बुलावा भेज दिया. अब सवाल यह उठता है कि आखिर चिराग पासवान अगर एनडीए से नाराज हैं, तो इसकी वजह क्या है? दअसल नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद से प्रदेश का सियासी समीकरण बदल गया है.
नीतीश जब एनडीए में नहीं थे तब चिराग पासवान का वोहदा बड़ा दिख रहा था. माना जा रहा था कि चिराग अपनी शर्तों पर बीजेपी से डील करेंगे और 2019 के फॉर्मूले पर ही लोकसभा सीट लेकर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन नीतीश की एंट्री ने खेल खराब कर दिया. फिलहाल बात सिर्फ यही नहीं है. बता दें नीतीश के एनडीए में आने के बाद भी चिराग पासवान नीतीश को लेकर नरम नहीं हैं. वहीं नीतीश कुमार भी 2020 में चिराग की वजह से मिली विधानसभा चुनाव की हार को अब तक भूले नहीं हैं .
दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की वजह से बिहार की नंबर वन पार्टी रही जेडीयू तीन नंबर की पार्टी बन गई थी. इसी नाराजगी का नतीजा रहा कि विधानसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद ही चिराग पासवान की पार्टी टूट गई.
क्या ये है नराजागी की वजह?
कहा जाता है कि जेडीयू ने चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में एलजेपी को तोड़ दिया. छह में से पांच सांसद पशुपति पारस के साथ चले गए थे. इसके बाद पशुपति पारस नीतीश के कोटे से केंद्र में मंत्री भी बने. अब नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद पारस को तो दिक्कत नहीं है, लेकिन चिराग का खेमा परेशान है.
यही वजह रही कि शनिवार को पीएम मोदी की औरंगाबाद और बेगूसराय की रैली में चिराग पासवान नहीं शामिल हुए. राजनीतिक गलियारों में चर्चा ये है कि चिराग ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. हालांकि, पार्टी के नेता बचाव में ये कहते रहे कि वह दूसरे कार्यक्रम में व्यस्त थे.
वहीं विनीत सिंह प्रवक्ता एलजेपी (आर) ने कहा कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की वजह से चिराग पासवान पीएम की सभा में नहीं पहुंचे सके, लेकिन औरंगाबाद और बेगूसराय में हमारी जिला इकाई की टीम अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ पीएम को सुनने पहुंची थी.
करीब 6 फीसदी पासवान जाति के वोटर
प्रधानमंत्री मोदी बिहार में एनडीए की दोबारा सरकार बनने के बाद पहली बार बिहार पहुंचे थे. बावजूद इसके खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान जैसे नेता मोदी की रैली से दूरी बनाई. बता दें बिहार में करीब 6 फीसदी पासवान जाति के वोटर हैं. इस वोट बैंक पर रामविलास पासवान की मजबूत पकड़ थी. वहीं अब चाचा पारस और भतीजे चिराग दोनों का इस वोट बैंक पर दावा है.
जानकार मानते हैं कि चाचा की तुलना में भतीजे चिराग पासवान की अच्छी पकड़ है और सभाओं में उमड़ती भीड़ इस बात की गवाही भी देती हैं. वहीं नीतीश और चिराग के रिश्तों को लेकर कहा जा रहा है कि सीएम नीतीश 2020 में मिले चिराग के धोखे को भूले नहीं हैं. वहीं नीतीश के साथ आने के बाद बीजेपी नेतृत्व बहुत ज्यादा सहज स्थिति महसूस कर रहा है. ऐसे में चिराग पासवान के लिए बहुत मुश्किल वक्त है.
चिराग पासवान का पुरानी 6 सीटों पर दावा
वहीं आगामी चुनाव के लिए बीजेपी अपनी सीटिंग 17 सीटों पर रणनीति बनाने में जुटी है. जेडीयू भी 16 सीटों पर तैयारी कर रही है. मामला बाकी बची सात सीटों को लेकर है. चिराग पुरानी 6 सीटों पर दावा कर रहे हैं, तो पशुपति पारस भी दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
दरअसल चाचा पारस और भतीजे चिराग में लड़ाई हाजीपुर सीट को लेकर भी है. पशुपति पारस वहां से सांसद हैं, जबकि चिराग हाजीपुर सीट पर दावा कर रहे हैं. ऐसे में सीट बंटवारे का समीकरण क्या रहेगा ये आने वाले समय में ही पता चलेगा.