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Indonesia Presidential Election: Will New President Of Indonesia, Worlds Third Largest Democracy, Be A Dictator? – दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति होंगे तानाशाह?


दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति होंगे तानाशाह?

रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबिआंतो ने अनौपचारिक आंकड़ों के आधार पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया है. इंडोनेशिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहां 20 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं. 1990 में सैनिक तानाशाही के दौर से निकलने के बाद वहां छठी बार राष्ट्रपति चुनाव हो रहा है. 14 फरवरी को मतदान के बाद वोटों की गिनती का काम जारी है.

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इंडोनेशिया के राष्ट्रपति चुनाव में अनाधिकारिक नतीजे के आधार पर प्रबोवो सुबिआंतो को राष्ट्रपति बनने की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. सुबिआंतो सुहार्तो के कार्यकाल में सैन्य कमांडर है और फिलहाल इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री हैं. उनके सामने दो पूर्व गवर्नर ऐनिज़ बसवेडन और गंजर प्रनोवो मैदान में हैं. सुबिआंतो के पीछे मौजूदा राष्ट्रपति जोकोवी ने भी अपनी ताक़त लगा दी है. क्योंकि जोकोवी के सबसे बड़े बेटे जिब्रान राकाबुमींग राका सुबिआंतो के साथ उप-राष्ट्रपति बनने की कोशिश में हैं. सुबिआंतो का इंडोनेशिया में अपना जनाधार तो है ही, साथ ही राष्ट्रपति जोको विडोडो जिनको जोकोवी नाम से मशहूर हैं. वे खुद एक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे हैं और 2014 और 2019 के अपने दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. संवैधानिक बाध्यता के चलते तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकते, उनसे मिल रहे भरपूर समर्थन के कारण सुबिआंतो की जीत की पूरी संभावना है.

सुबिआंतो और जिब्रान को 53 फीसदी वोट मिलने की बात
सुबिआंतो की जीत से उनके बेटे जिब्रान की जीत भी जुड़ी हुई है. चुनाव से पहले हुए तमाम ओपिनियन पोल में सुबिआंतो और जिब्रान की जीत को तय बताया गया है. पहले दौर के चुनाव में इन दोनों को 55 से 59 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ जीतने का अनुमान लगाया गया था. सुराकरता शहर जो कि गंजार प्रनोवो की पार्टी इंडोनेशियन डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ स्ट्रगल का मज़बूत गढ़ माना जाता है. वहां वोटों की गिनती के शुरुआती नतीज़ों के आधार पर एडवांस इंडोनेशियन कोलिशन के सुबिआंतो और जिब्रान को 53 फ़ीसदी वोट मिलने की बात कही जा रही है. यानि कि प्रनोवो के गढ़ में ही उनको सुबिआंतो और जिब्रान से मात मिल रही है.

लोगों को अपहरण और उनको यातना देने का आरोप
आशंका ये भी जतायी जा रही है कि मौजूदा राष्ट्रपति जोको विडोडो अपने बेटे जिब्रान के जरिए सत्ता पर पकड़ बनाए रखना चाहते हैं, सुबिआंतो क्योंकि एक मिलिटरी कमांडर रहे हैं. 1990 से 1998 में सुहार्तो जो कि अपने विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ कठोर क़दम उठाने के लिए बदनाम थे उनके कार्यकाल के दौरान सुबिआंतो और उनकी यूनिट पर दर्जनों ऐसे लोगों को अपहरण और उनको यातना देने का आरोप लगा जो लोकतंत्रिक मूल्यों की लड़ाई लड़ रहे थे. उनको इन आरोपों से बरी कर दिया गया था और वे 2000 में स्वैच्छिक निर्वासन के लिए जॉर्डन चले गए और फिर कई सालों बाद लौटे.

सुबिआंतो पर ईस्ट तिमोर में अत्याचार के आरोप भी लगे जिसने बाद में इंडोनेशिया से आज़ादी हासिल की. सुहार्तो के दूसरे कार्यकाल का अंत समय से पहले हो गया और इसके लिए भी सुबिआंतो को ज़िम्मेदार माना जाता है. वे अकूत संपत्ति के मालिक हैं और राष्ट्रपति जोकोवी ने उनको अपने मंत्रिमंडल में बतौर रक्षा मंत्री शामिल कर लिया और अब वे राष्ट्रपति चुनाव जीतने जा रहे हैं. ऐसे में इंडोनेशिया में फिर से तानाशाही के दौर के शुरु होने का ख़तरा भी बताया जा रहा है. हालांकि, चुनाव से पहले सुबिआंतो ने अपने रूख़ को नरम दिखाने की पूरी कोशिश की है.

अधिकतर वोटर राष्ट्रपति जोकोवी की नीतियों का जारी रखने के पक्षधर हैं जिसमें इंडोनेशिया की राजधानी को जकार्ता से हटा कर बोर्नियो द्वीप पर ले जाने का फ़ैसला शामिल है. इंडोनेशिया में रोज़गार एक बहुत बड़ा मुद्दा है. सुबिआंतो और जिब्रान की जोड़ी ने डेढ़ करोड़ रोज़गार और घर ख़रीदने के लिए आसान कर्ज़ का वादा किया है. युवा वोटरों को ये बहुत पसंद आया है और सुबिआंतो की जीत में इसका बड़ा योगदान होगा ये भी माना जा रहा है.



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