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Indians hired as helpers forced to fight in war at russia ukraine border


Ukraine-Russia War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लगभग 2 साल हो चुके हैं. युद्ध के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. खबरों के मुताबिक भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्हें कथित तौर पर एक एजेंट ने धोखे से सुरक्षा सहायक के रूप में काम करने के लिए वहां भेजा दिया.

पीड़ितों में से एक ने द हिंदू को बताया कि कम से कम तीन भारतीयों को रूस-यूक्रेन सीमा पर जबरन रूसियों के साथ लड़ने के लिए भेजा गया. वहीं, एक एजेंट ने बताया कि नवंबर 2023 से लगभग 18 भारतीय रूस-यूक्रेन सीमा पर फंसे हुए हैं. कहा जा रहा है कि युद्ध में एक शख्स की मौत भी हो गई है. 

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ भारतीयों ने 2022 में यूक्रेन में रूसी सेना से लड़ने के लिए बनाई गई अंतरराष्ट्रीय सेना में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से भाग लिया था. यह पहला मौका है जब युद्ध में भारतीयों की उपस्थिति की जानकारी सामने आई है. 

असदुद्दीन ओवैसी से किया संपर्क
पीड़ितों में से एक का परिवार हैदराबाद का रहना वाला है. परिवार ने AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी से संपर्क किया. इस संबंध में 25 जनवरी को ओवैसी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और मॉस्को में भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर उनकी वापसी के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की, जबकि बाकी पीड़ित उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से हैं. द हिंदू ने पीड़ितों के नाम का खुलासा नहीं किया है.

रूसी सेना ने दी ट्रेनिंग
उत्तर प्रदेश के पीड़ितों में से एक ने कहा कि उनमें से तीन को रूसी सेना द्वारा हथियार और गोला-बारूद संभालने का बुनियादी प्रशिक्षण दिया गया था. पीड़ित शख्स ने कहा कि वे नवंबर 2023 में यहां पहुंचे थे. उन्हें स्पष्ट रूप से बताया गया कि उन्हें युद्ध के मैदान में नहीं भेजा जाएगा. उनसे 1.95  लाख रुपये वेतन और प्रति माह 50,000 रुपये का अतिरिक्त बोनस का वादा किया गया था. दो महीने के 50,000 रुपये के बोनस के अलावा, उसे कोई पैसा नहीं मिला.

दूतावास नहीं सुन रही गुहार
पीड़ित ने कहा कि कई दिनों तक वह फोन इस्तेमाल नहीं कर सके. वह युद्ध क्षेत्र से भागने के बाद ही अपने परिवार से संपर्क करने में कामयाब रहे. उन्होंने कहा कि मॉस्को में भारतीय दूतावास से बार-बार की गई अपील अनसुनी कर दी गई.  उनके पास सही दस्तावेज नहीं और न ही पैसे हैं. सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही है और उनकी जान खतरे में हैं.
 
विदेश मंत्रालय का टिप्पणी करने से इनकार
फिलहाल विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय दूतावास ऐसी सभी शिकायतों पर नजर रख रहा है. सूत्रों ने बताया कि जो लोग सीमा पर जबरन मजदूरी का दावा कर रहे हैं, उनमें से कई देश छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं, कुछ लोग कुछ पैसे अर्जित किए बिना वापस आना नहीं चाहते हैं. 

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