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Indian Airlines IC 814 Hijack Story Why Jaswant Singh had gone to Kandahar to release terrorists


Indian Airlines IC 814 Hijack Story: भारत के लिए 24 दिसंबर 1999 की तारीख, वो काली तारीख है जिसे भूलना शायद ही संभव हो. इसी दिन नेपाल के काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC 814 को हाईजैक किया गया. आतंकी जहाज को हाईजैक कर उसे अफगानिस्तान के कंधार ले गए.

इसके बाद शुरू हुआ भारत सरकार पर दबाव बनाने का सिलसिला. फ्लाइट में मौजूद लोगों को छोड़ने के बदले में अपहरणकर्ताओं ने भारत से 36 आतंकवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती मांगी. करीब एक हफ्ते तक इस पर नेगोशिएशन चलता रहा. बाद में भारत 3 आतंकियों को छोड़ने के लिए तैयार हो गया. आतंकियों को साथ ले जाने और इसके बदले में विमान और अंदर बैठे यात्रियों को सुरक्षित लाने का जिम्मा तब के विदेश मंत्री जसवंत सिंह को दिया गया.

तीन आतंकियों को लेकर स्पेशल विमान से निकले थे

विमान अपहरण करने वालों से बात होने के बाद जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग जेलों में बंद आतंकी मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जरगर को सबसे पहले श्रीनगर लाया गया. वहां से दोनों को खुफिया एजेंसी रॉ के एक गल्फ स्ट्रीम विमान से दिल्ली लाया गया. दिल्ली में तीसरा आतंकी उमर शेख पहले से मौजूद था. इसके बाद तीनों को एक जहाज में बिठाया गया. इनके साथ विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी बैठे. कुछ ही देर बाद उनका विमान कंधार के लिए निकल गया.

विमान में कई बड़े अफसर और एसपीजी के कमांडो भी थे मौजूद

जसवंत सिंह अकेले ही इन आतंकियों को लेकर कंधार नहीं जा रहे थे. उनके साथ चार सीनियर अफसर भी थे. इसमें सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर एपी सिंह, इंडियन एयरलाइंस के तत्कालीन चीफ विजिलेंस ऑफिसर रंजीत नारायण, एसपीजी के ऑपरेशन इंचार्ज सतीश झा और सुरेंद्र पांडे शामिल थे. उनके साथ एसपीजी के कमांडो का एक दस्ता भी था. ये सभी अफसर उनके साथ एहतियातन भेजे गए थे, ताकि आतंकियों के वादे से मुकरने या गुछ गलत करने पर ये जवाबी कार्रवाई कर सकें.

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