India should alert on trade with USA says GTRI
भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ‘अमेरिकी फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी’ की अनुपस्थिति में किसी भी समझौते पर कांग्रेस (संसद) की जांच, संभावित संशोधन, देरी या सीधे अस्वीकृति की तलवार लटकती रहेगी.
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने मंगलवार को कहा कि प्रमाणन प्रक्रिया अमेरिका को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उस पर प्रभावी रूप से पुनः बातचीत करने की अनुमति देती है. इससे घरेलू कानूनी बदलाव, नियामकीय सुधार तथा नीतिगत बदलावों की मांग उत्पन्न होगी जो भारत की संप्रभुता को कमजोर कर सकती है.
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘ जैसा कि वार्ता जारी है, आगे का रास्ता न केवल कूटनीतिक कौशल बल्कि अमेरिका की व्यापार नीति में अंतर्निहित कानूनी विषमताओं के प्रति सतर्कता की भी मांग करता है.’ उन्होंने कहा कि इस प्राधिकरण के बिना तथा समझौते के बाद प्रमाणन के तहत अमेरिका को अतिरिक्त मांगें थोपने की अनुमति दिए जाने से विषम दायित्वों का खतरा वास्तविक है.
अमेरिकी फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी (जिसे ‘ट्रेड प्रमोशन अथॉरिटी’ के नाम से भी जाना जाता है) एक विशेष तंत्र है जो अमेरिका के राष्ट्रपति को व्यापार समझौतों पर बातचीत करने और उन्हें संशोधन या प्रक्रियात्मक देरी के बिना, वोट के लिए कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति देता है.
इस प्राधिकरण ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को शीघ्रता से अंतिम रूप देने और अनुमोदित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वहीं उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते जैसे प्रमुख समझौतों को संभव बनाया है. श्रीवास्तव ने कहा कि हालांकि 2021 से यह प्राधिकार समाप्त हो गया है और इसे पुन: लाया नहीं गया. इस प्राधिकार के बिना अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा किए गए किसी भी व्यापार समझौते पर संसद की जांच, संभावित संशोधन, देरी या सीधे अस्वीकृति की तलवार लटकती रहती है.
उन्होंने कहा कि भारत के लिए इससे भी अधिक चिंताजनक बात अमेरिका की एफटीए के बाद की प्रमाणन प्रणाली है, जिसमें अमेरिका एकतरफा तरीके से यह निर्धारित करता है कि साझेदार देश ने समझौते के तहत अपने दायित्वों को पूरा किया है या नहीं. श्रीवास्तव ने कहा कि जब तक अमेरिका यह प्रमाणीकरण जारी नहीं करता, तब तक यह समझौता लागू नहीं होगा जिसका ऐतिहासिक रूप से इस्तेमाल देशों पर अतिरिक्त कानूनी और नीतिगत बदलाव करने के लिए दबाव डालने के लिए किया जाता रहा है, जो मूल एफटीए पाठ में निर्दिष्ट नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘ ये दोनों कारक गंभीर अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं. वे अमेरिका को समझौते के बाद उसमें बदलाव करने या मूल रूप से तय की गई राशि से अधिक की मांग करने की अनुमति दे सकते हैं. भारत को अमेरिका के साथ अपने मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए. प्राधिकरण की अनुपस्थिति किसी भी अंतिम समझौते को अमेरिका में अप्रत्याशित विधायी हस्तक्षेप के लिए खुला रखती है.’
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो अप्रैल को जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा के बीच, भारतीय और अमेरिकी अधिकारी बुधवार से प्रस्तावित व्यापार समझौते पर औपचारिक वार्ता शुरू करेंगे.
यह भी पढ़ें:-
यूट्यूबर ने पूछा- कश्मीर जाएंगे, पाकिस्तानी शख्स बोला- ‘इंशाअल्लाह.. हिंदुओं को मारेंगे, जन्नत नसीब होगी’