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India Relationships With Its Neighbours Not Of Transactional Nature Says External Affairs Minister S Jaishankar – दुनिया से रिश्तों को लेकर मोदी सरकार के क्या हैं 5 मार्कर? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने NDTV को बताया



NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ खास इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “अपने पड़ोस में ही देखें… आप जानते हैं कि 2014 में ये नीति आई थी कि नेबरहुड फर्स्ट… इसका मतलब था कि हम हमारे पड़ोसी देशों को प्राथमिकता दें. उनके साथ हमारी जो डीलिंग हो.. एक खुले दिल के साथ हो… उनकी कई बार जरूरतें होती हैं.. उनके साथ डील में कोई सौदा ना हो.. एक तरह से देखा जाय तो ये रियल फ्रेंडशिप है. उसका सबसे बड़ा मार्कर श्रीलंका है..”

पहला मार्कर- श्रीलंका

विदेश मंत्री ने कहा, “जब श्रीलंका संकट में पड़ा, तो उसकी आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि राष्ट्रपति को भी अपना पद छोड़ना पड़ा था. बाकी दुनिया चर्चा तो कर रही थी. उस समय कोई देश श्रीलंका की ज्यादा मदद नहीं कर रहा था. भारत एकमात्र ऐसा देश था, जिसने श्रीलंका की मदद की. भारत के इतिहास में पहली बार किसी देश को हमने 4.5 बिलियन डॉलर की मदद की. इससे पड़ोसी देशों के बीच एक संदेश गया. संदेश ये कि भारत मुश्किल के समय अपने पड़ोसियों के साथ खड़ा रहने वाला देश है.”

दूसरा मार्कर- खाड़ी देश

विदेश मंत्री ने कहा, “भारत की विदेश नीति का दूसरा मार्कर खाड़ी देशों में है. मैं इसे एक्सटेंडेड नेबरहुड कहता हूं… क्योंकि विभाजन से पहले ये हमारा पड़ोसी ही था. खाड़ी देशों के साथ हमारे रिश्ते जितने गहरे होने चाहिए, उतने नहीं हैं. हम जानते हैं कि इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी दूसरे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने UAE की यात्रा की. इंदिरा गांधी के बाद और पीएम मोदी से पहले किसी प्रधानमंत्री ने UAE की यात्रा नहीं की. अगर UAE के साथ भारत के रिश्तों का असेसमेंट किया जाए, तो हम देखेंगे कि दोनों देशों के रिश्तों में 2014 से काफी मजबूती आई है. हमारे बीच व्यापार बढ़ा है. UAE में भारतीयों की संख्या में इजाफा हुआ है. वहां एक मंदिर बन रहा है, जिसका उद्घाटन अगले महीने होगा.. पहले जो रिश्ता तेल और व्यापार का था, अब वो पूरी तरह से रणनीतिक रिश्ता बन चुका है.”

तीसरा मार्कर- अमेरिका

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “तीसरा मार्कर अमेरिका है. पिछले साल जब पीएम मोदी ने अमेरिका में स्टेट विजिट की थी, तब पूरी दुनिया की उसपर नजर थी. 1985 में राजीव गांधी ने अमेरिका की यात्रा की. 2005 में मनमोहन सिंह भी यूएस गए. उसी दौरान न्यूक्लियर डील हुई. 2014 में बतौर पीएम जब नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए, तब मैं भी मौजूद था. लेकिन पिछले साल हुई पीएम मोदी की यूएस स्टेट विजिट की उपलब्धियां अलग थीं. इस बार अमेरिकी प्रशासन भी था और अमेरिकी कांग्रेस भी साथ था… बिजनेस की दुनिया भी हमारे साथ थी… अमेरिका की टेक दुनिया भी भारत के साथ थी. हमारा समुदाय तो वैसे ही सपोर्ट करती है.”

चौथा मार्कर- यूक्रेन और इजरायल

एस जयशंकर ने कहा, “चौथा मार्कर यूक्रेन और इजरायल है. डिप्लोमेसी में कभी-कभी दुविधाएं होती हैं. अलग-अलग देशों से दबाव होता है. वो चाहते हैं कि उनकी बात पहले सुनी जाए. मैं इसके तीन उदाहरण देता हूं. पहला उदाहरण यूक्रेन है. यहां दोनों तरफ से दबाव था. एक दबाव तो रूस से तेल लेने में भी था. दूसरा उदाहरण, भारत जी-20 की अध्यक्षता कैसे करेगा.. इसे लेकर भी दुनिया के तमाम सवाल थे. क्वॉड की बात करते हैं. क्वॉड के सदस्य देश भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान मिलकर कुछ करना चाहते हैं. 2007 में भी करना चाहते थे. उस समय दबाव के कारण काम शुरू हुआ, लेकिन इसे बीच रास्ते में छोड़ दिया गया. इस बार जब हम आगे बढ़ना चाह रहे थे, तो हम पर दबाव तो आए थे. तीसरा उदाहरण इजरायल-गाजा का है. गाजा के साथ भारत के रिश्ते अच्छे हैं. इजरायल के साथ तो हमारे और भी अच्छे संबंध हैं. ये सब आतंकवाद का विषय है. ऐसी परिस्थिति में भारत ने स्वतंत्र रूप से फैसले लिए. ये हमारे नए भारत के स्टैंड को दर्शाता है…”

पांचवां मार्कर-कोरोना काल

विदेश मंत्री ने कहा, “पांचवां मार्कर कोविड काल में भारत का स्टैंड हो सकता है. कोरोना काल में भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ एक बड़ा मार्कर साबित हुआ. भारत ने करीब 100 देशों को वैक्सीन पहुंचाया. कुछ ऐसे देश थे, जिन्हें वैक्सीन मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी. लेकिन भारत ने उनकी भी मदद की. मैं हाल ही में युगांडा में था. वहां के लोग भारत की वैक्सीन मैत्री की तारीफ करते हैं. भारत के लिए वो हर तरह से शुक्रिया अदा करते हैं. मैं कहूंगा कि ये सचमुच दिल छूने वाली थी…” 

मोदी युग में बदली भारत की विदेश नीति

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “मोदी युग में भारत की विदेश नीति पूरी तरह बदल गई है. श्रीलंका पर हमारी नीति से दुनिया को संदेश गया. भारत को देखने का दुनिया का नज़रिया बदल गया है. 25 साल की तैयारी के लिए बड़े आइडिया की ज़रूरत होती है. ग्लोबल वर्क प्लेस और कनेक्टिविटी ऐसे आइडिया हैं. जिससे भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदल गया है.” 

विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश अपने हितों के मुताबिक हालात बदलना चाहता है… चीन और भारत दोनों उभरती शक्तियां हैं… लेकिन हमारा मुकाबला सिर्फ़ चीन से नहीं है. हमारा मुकाबला दुनिया से है.

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