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India China LAC Dispute Hold Special Representatives Meeting on Border Issue Strengthening Bilateral Relations


भारत और चीन ने लगभग पांच सालों के बाद सीमा मुद्दे पर अपने विशेष प्रतिनिधियों की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का फैसला लिया है. दोनों देशों ने यह फैसला पूर्वी लद्दाख में दो टकराव वाले स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के कुछ सप्ताह बाद लिया है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच सोमवार देर रात ( 18 नवंबर 2024 ) रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर बातचीत हुई, जिसमें भारत-चीन संबंधों में अगले कदमों पर चर्चा की गई. विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों मंत्रियों ने महसूस किया कि संबंधों को स्थिर करना, मतभेदों को दूर करना और अगले कदम उठाना जरूरी है.

सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी और शांति बनाए रखना

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने माना कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी से शांति और सौहार्द बनाए रखने में मदद मिली है. इस चर्चा का मुख्य विषय भारत-चीन संबंधों में अगले कदमों पर था. दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि विशेष प्रतिनिधियों और विदेश सचिव-उपमंत्री स्तर की बैठक जल्द ही होगी.

बैठक में उठाए गए प्रमुख मुद्दे

विदेश मंत्रालय के अनुसार, बैठक में कई प्रमुख कदमों पर चर्चा की गई, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार की नदियों पर आंकड़े साझा करना, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें और मीडियाकर्मियों की परस्पर आवाजाही शामिल हैं. यह बैठक खास तौर से अहम थी, क्योंकि पिछले कुछ सालों से कोविड-19 महामारी की वजह दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और कैलाश मानसरोवर यात्रा निलंबित कर दी गई थीं.

भारत की विदेश नीति और वैश्विक स्थिति पर चर्चा

बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने वांग को बताया कि भारत प्रभुत्व स्थापित करने के लिए एकतरफा दृष्टिकोण के खिलाफ है और वह अपने संबंधों को बाकी दूसरे देशों के चश्मे से नहीं देखता है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘वैश्विक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद और समानताएं दोनों हैं. हमने ब्रिक्स और एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) ढांचे में रचनात्मक तौर से काम किया है.”

वांग यी की सहमति और संबंधों को बेहतर बनाने की दरकार

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश मंत्री वांग यी ने जयशंकर के साथ सहमति जताते हुए कहा कि भारत-चीन संबंधों का विश्व राजनीति में खास महत्व है. वांग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने कजान में आगे के रास्ते पर सहमति जताई थी और दोनों मंत्रियों ने महसूस किया कि यह जरूरी है कि संबंधों को स्थिर करने, मतभेदों को दूर करने और अगले कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित किया जाए.

सीमा क्षेत्रों में गश्त और सैनिकों की तैनाती

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, भारतीय और चीनी सेनाओं ने देपसांग और डेमचोक में एक-एक दौर की गश्त शुरू की है. दोनों पक्षों ने एलएसी पर सैनिकों की तैनाती बरकरार रखी है और अब तनाव को समग्रता में कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इस समय क्षेत्र में एलएसी पर दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

कजान में हुई बैठक और भविष्य की योजनाएं

यह माना जाता है कि दोनों पक्ष कई कम्यूनिकेशन सिस्टम को फिर से तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, जिसमें सरहद पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता भी शामिल है. 23 अक्टूबर को रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बाद दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था. इस बैठक में दोनों नेताओं ने भविष्य के कदमों पर सहमति जताई थी, जिसे अब लागू किया जा रहा है.

भविष्य में दोनों देशों के बीच भरोसा कायम होगा?

सैन्य वापसी के बाद, भारतीय सेना विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रही है और इस मकसद को हासिल करने के लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे को आश्वस्त करना होगा. समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूसी शहर कजान में वार्ता की थी, जिसमें दोनों देशों के बीच आपसी भरोसे और सहयोग पर जोर दिया गया.

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