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Importance Of Pind Daan In Gaya Why Pind Daan In Gaya Get Moksha Of Pitra – जानिए क्या है गया में पिंडदान करने का महत्व, क्या यहां पूजा करने से पितरों को मिल जाता है मोक्ष


जानिए क्या है 'गया' में पिंडदान करने का महत्व, क्या यहां पूजा करने से पितरों को मिल जाता है मोक्ष

Faith : गरुण पुराण में आत्मा की शांति के लिए गया को एक महत्वपूर्ण स्थल कहा गया है.

Pitru Paksha Pind Daan Importance: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष (pitrpaksh) के दौरान परिवार अपने पितरों के लिए श्राद्ध और भोज आयोजित करते हैं. सनातन धर्म में मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पितरों के लिए किया गया पिंडदान और तर्पण पितरों को संतुष्टि दिलाता है और इससे पितरों के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों का भी उद्धार होता है. श्राद्ध पक्ष के अलावा देश भर में ऐसे कई स्थान हैं जहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलने की बात कही जाती है.  इन्हीं में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है गया (Gaya). शास्त्रों में कहा गया है गया वो स्थान है जहां पिंडदान करने से 108 कुलों और आने वाली सात पीढ़ियों का उद्धार होता है. पुराणों में गया को मोक्ष स्थली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां साक्षात भगवान विष्णु पितृदेव के रूप में विद्यमान रहते हैं.

‘गया’ में क्या है पिंडदान का महत्व

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यूं तो देश भर में कुल 55 ऐसे धार्मिक स्थान हैं जहां पिंडदान करने का महत्व है लेकिन इनमें गया खास है. गया बिहार राज्य में स्थित है और फल्गु नदी के तट पर किया गया पिंडदान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति गया जाकर पिंडदान करता है वो हमेशा के लिए पितृऋण से मुक्त हो जाता है. इसके बाद उसे श्राद्ध करने की जरूरत नहीं रह जाती. पुराणों में कहा गया है कि गया के फल्गु नदी तट पर ही भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. राजा राम ने यहां अपने पिता के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण किया और उनकी आत्मा के लिए शांति की प्रार्थना की थी. इतना ही नहीं महाभारत काल में पांडवों ने भी यहां अपने पितरों का पिंडदान करके उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की थी.

हर साल पितृपक्ष में लगता है मेला 

गया में यूं तो पूरे साल पिंडदान करने वालों की भीड़ रहती है लेकिन पितृपक्ष में यहां काफी ज्यादा भीड़ हो जाती है. यहां हर साल पितृपक्ष के दौरान एक मेला लगता है जिसमें काफी लोग भाग लेते हैं. घर में किसी की मृत्यु के बाद गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है और गरुण पुराण में आत्मा की शांति के लिए गया को एक महत्वपूर्ण स्थल कहा गया है जहां पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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