ICMR shocking report superbugs are pushing families into debt in India
ICMR Study: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic Resistance) से जुड़े आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभावों पर चिंता जताई है. स्टडी में बताया गया कि देश में एंटीबायोटिक प्रतिरोध इस हद तक बढ़ गया है कि लोग इलाज के लिए पैसे उधार लेने को मजबूर हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी रोगाणुओं के मामले में डॉक्टर नई महंगी दवाओं का उपयोग करने पर मजबूर होते हैं. दवा-प्रतिरोधी रोगियों को ICU में भर्ती करने की आवश्यकता होती है, जिससे इलाज की लागत और कई गुना बढ़ जाती है. अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण अब केवल अस्पतालों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समुदाय और पोल्ट्री जैसे क्षेत्रों में भी फैल रहा है. एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग ने इस खतरे को बढ़ा दिया है.
परिवारों पर पड़ रहा आर्थिक प्रभाव
अध्ययन में पाया गया कि 46.5% परिवारों को इलाज की लागत के लिए पैसे उधार लेने पड़े. 33.1% लोगों को फाइनेंशियल टॉक्सिसिटी का सामना किया. 11.4% परिवारों को अपनी संपत्ति बेचनी या गिरवी रखनी पड़ी. इसके अलावा, कई परिवारों को भोजन की खपत में कटौती करनी पड़ी. निजी अस्पतालों में दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों का इलाज लगभग 2,80,000 रुपये तक हो सकता है. वहीं, चैरिटी ट्रस्ट के अस्पतालों में यह लगभग 17,800 रुपये है.
एंटीबायोटिक दवाओं का हो रहा अंधाधुंध इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया कि एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है, विशेष रूप से समुदाय और पोल्ट्री उद्योग में ये देखने को मिला है. सभी अस्पतालों को एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम अपनाने चाहिए. सरकार को समुदाय और स्वास्थ्य क्षेत्र में एंटीबायोटिक उपयोग के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए. डॉक्टरों और आम जनता को एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग के लिए जागरूक किया जाना चाहिए.
सुपरबग क्या है?
सुपरबग उन रोगाणुओं (जैसे बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस) को कहते हैं जो एंटीबायोटिक्स और अन्य एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के प्रति प्रतिरोधी (रेजिस्टेंट) हो जाते हैं. इन पर दवाइयों का असर नहीं होता है, जिससे इनका इलाज बेहद कठिन हो जाता है.
विशेषज्ञों की राय
आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि यह अध्ययन रोगाणुरोधी प्रतिरोध की वृद्धिशील लागत का आकलन करने के लिए किया गया था “हमारे अध्ययन में पाया गया कि भारत में दवा-प्रतिरोधी रोगाणुओं के संक्रमण का इलाज बेहद महंगा है, और यह परिवारों पर भारी वित्तीय बोझ डालता है.
गिरगांव के एच एन रिलायंस अस्पताल के इंटेंसिविस्ट डॉ. राहुल पंडित ने कहा कि भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. आजकल बड़ी संख्या में प्रतिरोधी संक्रमण के मामले आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों को एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मैनेजमेंट प्रोग्राम बनाना होगा. हालांकि कई अस्पतालों ने सरकार के प्रयासों के कारण मैनेजमेंट प्रोग्राम अपनाए हैं, लेकिन उन्हें बनाए रखना चुनौती है.