How Will Mumbai Save Itself From The Heat Generated By Concrete Will Be Severe Heat Wave In 2024 – कंक्रीट से पैदा हो रही गर्मी से कैसे बचेगी मुंबई? 2024 में होगी भीषण गर्मी
मुंबई:
2023 की गर्मी ने मुंबई के लोगों को खूब रुलाया था. 2024 में आनेवाली भीषण गर्मी के संकेत परेशान करने वाले हैं. इसी बीच एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में मुंबई को सचेत किया गया है. क्योंकि पूरे शहर में तेज़ी से चल रहे निर्माण कार्य और बढ़ते कंक्रीट की वजह से मुंबई में गर्मी पर काबू पाने का का खर्च काफी बढ़ जाएगा. 2023 में वैश्विक गर्मी का रिकॉर्ड टूटा! पर 2024 में तो आसमान से आग बरसेगी.“अल नीनो” के प्रभाव में इस साल भयंकर गर्मी पड़ने वाली है. ख़ुद संयुक्त राष्ट्र ने भी इसकी चेतावनी दी है. इस बीच मुंबई में बड़े पैमाने पर चल रहा निर्माणकार्य मुंबई को कंक्रीट के जंगल में बदल रहा है। इससे गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, ऐसे संकेत अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आये हैं.
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पर्यावरणविद का क्या कहना है?
पर्यावरणविद ज़ोरू भथेना ने कहा कि ये लोग स्लम को हटाकर पचास मंज़िला इमारत खड़ी कर रहे हैं, डेवलपमेंट तो ज़रूरी है लेकिन जिस पैमाने में सीमेंट हर जगह बिछा रहे हैं, आप सोचो शहर का क्या होगा. प्रदूषण का 70% कारण सीमेंट होता है. हर रोड सीमेंट का कर रहे हैं क्यों? इसका प्रभाव क्या होगा इसपर स्टडी की? मुंबई में प्रभाव दिखने ही लगा है. अब इस साल भी दिखेगा.
क्लाइमेट टेक रोनक सुतारिया ने क्या कहा?
रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक, क्लाइमेट टेक रोनक सुतारिया मूडी की स्टडी को चेतावनी भरा संकेत मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में 4 शहरों का विश्लेषण किया गया है – मुंबई, पेरिस, न्यूयॉर्क और रियो डी जनेरियो. मुंबई, में मेट्रो निर्माण, कोस्टल रोड और बिल्डिंग रिडेवलपेंट में खूब सीमेंट और कंक्रीटीकरण शामिल है, जो उत्सर्जन में वृद्धि करने जा रहा है और अन्य सभी शहरों से शहरी बुनियादी ढांचे के उत्सर्जन को पार कर जाएगा. शहरी गर्मी से होने वाले नुकसान से, लागत में 166% की वृद्धि हुई है, इसे चेतावनी की तरह देखना चाहिए. और तत्काल इन उत्सर्जन को कैसे कम किया जाए इस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. उच्च उत्सर्जन गतिविधियों के विकल्पों के उपयोग का बारीकी से विश्लेषण किया जाना चाहिए और विकल्पों को तत्काल आधार पर लागू किया जाना चाहिए.
वायु प्रदूषण पर भारत के सबसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, SAFAR के संस्थापक-निदेशक डॉ गुफरान बेग भी शहर की बिगड़ी हवा और हालात को रेखांकित करते हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रयासों से एक कदम आगे बढ़ मिटिगेशन पर काम करना पड़ेगा. ख़ासतौर से जहां क्लाइमेटिकली बहुत वल्नरेबल हैं वहां काम करना होगा, जैसे मुंबई कोस्टल की वजह से वल्नरेबल होता है. तो ख़ास तौर से वहां मिटिगेशन के तौर पर प्रयास जारी रखना पड़ेगा. और एयरशेड एप्रोच को ध्यान में रखते हुए मिटिगेशन करना है.
कंक्रीट, डामर, पत्थर जैसी चीज़ों से बनी सतहें गर्मी को सोखती हैं, जो फिर पूरे दिन धीरे-धीरे निकलती है. कंक्रीटीकरण के कारण शहरी क्षेत्र, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 8-10° फ़ारेनहाइट तक अधिक गर्मी का अनुभव करते हैं. एक्सपर्ट्स चेता रहे हैं कि बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण शहर के किए बड़ी मुश्किलें ला सकता है.
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