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How Many Seats Will BJP Get In South India This Time? Party Preparation Will Surprise You – दक्षिण भारत में अबकी बार बीजेपी की कितनी सीटें आएंगी? पार्टी की तैयारी कर देगी हैरान



नई दिल्ली:

दक्षिण भारत में लोकसभा की 129 सीटें हैं. इनमें से बीजेपी ने पिछली बार 29 सीटें जीती थी और अब चुनौती उन 29 सीटों को कायम रखने की और विपक्ष के 100 में से ज्यादातर सीटों को छीनने की है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

ने नए साल के 80 दिनों में 23 दिन दक्षिण भारत में गुजारे हैं. यानी कि हर चौथा दिन दक्षिण भारत में वह रहे. सेंगोल से लेकर तमिल संगम तक पर प्रधानमंत्री मोदी का जोर चुनावों के लिए एक बड़ा निवेश हो सकता है. इसीलिए सबकी नजर तमिलनाडु की 39 सीटों पर है, जहां पर बीजेपी ने छह-छह दलों से गठबंधन किया है.

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पीएम मोदी ने संभाली कमान

बीजेपी तमिलनाडु में 23 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है और उसने आज 9 उम्मीदवारों की घोषणा की है. पूर्व गवर्नर तमिल साई, केंद्रीय मंत्री मुरुगन और प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई जैसे दिग्गजों को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है. तमिलनाडु के कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए रोड शो में उमड़ी भीड़ ने बीजेपी के हौसले को बढ़ा दिए हैं. आखिर बीजेपी ने 400 पार का जो सपना एनडीए के लिए देखा है, उसमें 39 सीटों वाले तमिलनाडु का साथ नहीं मिला तो लक्ष्य मुश्किल हो सकता है. तमिलनाडु में बीजेपी इस वक्त चुनावी लिहाज से शून्य बटे सन्नाटा है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु पर सबसे ज्यादा जोर दिया है. 2024 का आगाज ही दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से शुरू हुआ. अभी पांच दिन के दक्षिण भारत दौरे पर प्रधानमंत्री आए थे और इसमें तमिलनाड के कोयंबटूर में उनका रोड शो हुआ, जहां हिंदू धर्म का सवाल उठाकर उन्होंने कांग्रेस और डीएमके को घेरने की कोशिश की. तमिलनाडु की राजनीति पिछले पांच दशक से दो दलों की धुरी पर नाचती आ रही है. एक डीएमके और दूसरा एआईएडीएमके.

तमिलनाडु में ऐसे बना गेमप्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय राजनीति में एक तीसरा पक्ष खड़ा करने की कोशिश की है. इसके तहत बीजेपी ने तमिलनाडु में छह दलों से गठबंधन किया है. इनमें सबसे अहम पीएमके है. इसके नेता हैं अंबुमणि रामदास. इसके अलावा बीजेपी ने तमिल मनिला कांग्रेस और दिनाकरण की अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के साथ भी गठबंधन किया है. बीजेपी यहां एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में है, जो खुद उन 39 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि पीएमके 10 सीटों पर और एमएमके दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बाकी दलों के लिए चार सीटें छोड़ी गईं हैं. पीएमके को खास तरजीह इसलिए दी गई है कि उसका वन्नियार समुदाय पर खासा प्रभुत्व है, जिसकी आबादी करीब 6 फीसद है और जो उत्तरी तमिलनाडु में अच्छा खासा प्रभाव रखती है. पीएमके को विधानसभा चुनाव में 3.8 फीदी वोट और पांच सीटें मिली थीं. बीजेपी से गठबंधन में ही 2014 में रामदास ने धर्मपुरी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के लोगों से संवेदना के स्तर पर भी जुड़ते हुए दिख रहे हैं. पार्टी के ऑडिटर रमेश को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी 63 सेकंड तक रुंधे गले के साथ खामोश रहे. बीजेपी नए सहयोगियों के जरिए उत्तर तमिलनाडु में अपने लिए जगह बनाना चाहती है.

जयललिता की जगह भरने की तैयारी

2014 में बीजेपी ने तमिलनाड में 5.5 फीसद वोटों के साथ एक सीट जीती थी, जबकि 2019 में 3.66 फीसद वोट तो हासिल किए लेकिन सीट एक भी नहीं मिली. अब एक तो दक्षिण विजय और दूसरे 400 पार का लक्ष्य. इसने बीजेपी को तमिलनाड पर ज्यादा जोर देने के लिए मजबूर कर दिया है. सबसे पुरानी भाषा और संस्कृति वाले तमिल समाज का दिल जीतना इस बार बीजेपी के लिए थोड़ा आसान हो सकता है, क्योंकि पिछले पांच साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार राज्य के दौरे पर आते रहे हैं. पिछले पांच साल से तमिल और काशी के सांस्कृतिक संबंधों पर उनका पूरा जोर रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई अपने आक्रामक तेवरों के कारण जनसभाओं में बढ़िया भीड़ जुटाने में सक्षम दिख रहे हैं. जयललिता के निधन के बाद कमजोर पड़े एआईएडीएमके ने पिछले साल बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया तो बीजेपी ने उसके कई नेताओं को तोड़ लिया. जयललिता के ना होने से से विपक्ष की जगह भरने की कोशिश अब बीजेपी लगातार कर रही है. कभी उसी जयललिता के साथ 1998 में गठजोड़ कर बीजेपी ने तमिलनाडु में तीन सीटें हासिल की थी, लेकिन अब तैयारी नए सिरे से है.

कर्नाटक को ऐसे साधा

दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां पर बीजेपी की सरकार रही है. अपना मुख्यमंत्री रहा है. बीजेपी पिछली बार वहां अकेले चुनाव लड़ी थी और 28 में से 25 सीटें जीत गई थी. इस बार वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. इसलिए खुद 25 सीटों पर लड़कर और तीन सीटें पूर्व पीएम देवेगौड़ा की पार्टी को देकर उसने गठबंधन किया है. इसके अलावा एक बड़ा गठबंधन आंध्र प्रदेश में भी हुआ है. पिछली बार शून्य पर सिमटी बीजेपी इस बार आंध्र प्रदेश में पुराने पार्टनर के साथ नई उम्मीदों के रथ पर सवार है. बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में दो दलों के साथ तालमेल किया है, जिसमें एक पार्टी चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी है और दूसरी अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना पार्टी. प्रधानमंत्री मोदी को यकीन है कि यह तिकड़ी चुनाव में कमाल करेगी. टीडीपी के साथ बीजेपी का गठबंधन बनता और बिगड़ता रहा है. अगर सीट शेरिंग की बात करें तो लोकसभा की 25 सीटों में टीडीपी 17 बीजेपी 6 और जनसेना पार्टी दो सीटों पर लड़ रही है. वहां विधानसभा के चुनाव भी साथ ही हो रहे हैं. लिहाजा विधानसभा के साथ हुए गठबंधन के तहत टीडीपी 144 बीजेपी 10 और जनसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. तमिलनाडु में बड़े भाई की भूमिका वाली बीजेपी आंध्र प्रदेश आते-आते मझले भाई के रोल में आ चुकी है.

आंध्र प्रदेश में मिले नये दोस्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां राष्ट्रीय स्वाभिमान और क्षेत्रीय विकास का संतुलन साधने की कोशिश की है. आंध्र प्रदेश में एनडीए के सामने हैं जगनमोहन रेड्डी की पार्टी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी यानी वाईएसआरसीपी और कांग्रेस. यानी लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है. फिर भी कांग्रेस को लेकर लगता है कि आंध्र में उसका खास जनाधार बचा नहीं है. बावजूद इसके कि वो अपनी पार्टी में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की बहन को लेकर आई है. दूसरी तरफ जगनमोहन रेड्डी को यकीन है कि वह सत्ता में लौटेंगे. आंध्र प्रदेश से कटकर बनी तेलंगाना में बीजेपी अकेले ही लड़ रही है. पिछली बार इसे 17 में से चार सीटें मिली थी. बीजेपी का दावा है कि इस बार वह डबल डिजिट में हो जाएगी. हालांकि यहां दो और अहम दल या गठबंधन मैदान में हैं. यह जरूर है कि कर्नाटक जो कभी बीजेपी का गढ़ था वहां भी बीजेपी ने अपनी जीत पक्की करने के लिए जेडीएस से हाथ मिलाया है. पिछली बार बीजेपी कर्नाटक की 28 सीटों में से 25 सीटें जीती थी. इस बार बीजेपी खुद 25 सीटों पर लड़ रही है और पिछली बार एक सीट जीतने वाली जेडीएस को तीन सीटें दे दी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरुआत ही दक्षिण भारत की यात्रा से शुरू की थी. उनके लगातार मिशन साउथ पर लगे रहने से बीजेपी को लगता है कि इस बार विंध्याचल के पार खिला कमल दिल्ली से ही दिखने लगेगा.

केरल में बड़े चेहरे उतारे

केरल में बीजेपी की स्थिति कोई अच्छी नहीं है. हालांकि उसे पिछले लोकसभा चुनाव में भी 10 फीसद से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन सीट एक भी नहीं मिली थी. इस बार प्रधानमंत्री मोदी का यह दावा है कि सीटें मिलेंगी और डबल डिजिट में मिलेंगी. इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब लक्षदीप पहुंचे थे तो उससे पहले वह केरल भी गए थे. उसके बाद भी लगातार केरल जाते रहे. इतना ही नहीं अभी 15 मार्च को भी जब पांच दिनों के दक्षिण दौरे पर पीएम मोदी गए तो केरल पहुंचे थे. बीजेपी के लिए केरल वोट के हिसाब से जरूर दहाई में पहुंचाने वाला राज्य है लेकिन सीटों की बात आती है तो पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी जीरो हो गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केरल में वोट तो 12 फीसद मिले थे लेकिन सीट एक भी नहीं मिली. वहीं 2021 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी का वोट भी थोड़ा खिसका और वह 11.30 फीसद हो गया और सीट फिर से शून्य पर सिमट गई. यहां तक कि मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरण को अपना चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था, वह भी चुनाव हार गए थे. इस बार बीजेपी को लगता है कि लोकसभा में उसका खाता जरूर खुलेगा. बीजेपी ने इसके लिए अपने बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतार दिया है. इनमें केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर, विदेश राज्य मंत्री वी मुरली धरण और अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी शामिल हैं.



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