How Did Benjamin Netanyahus Brother Solve The Israeli Hostage Crisis? – बेंजामिन नेतन्याहू के भाई ने इजराइलियों को बंधक बनाए जाने पर कैसे सुलझाया था संकट?
एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ टेलीफोन पर बातचीत में नेतन्याहू ने कहा कि इज़राइल के पास गाजा में जमीनी अभियान शुरू करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
एनडीटीवी से एक विशेष बातचीत में, येरूसलम की डिप्टी मेयर फ़्लूर हसन नहौम ने इस नेतन्याहू की राय का समर्थन किया. यह स्पष्ट हो गया कि बंधक स्थिति के कारण संकट पैदा हो गया है, और इजराइल के विकल्प सीमित हैं.उन्होंने कहा, “मैं नहीं मानती कि यह ऐसा युद्ध है जिसे सिर्फ हवाई जहाज से लड़ा जा सकता है, खास तौर पर इसलिए क्योंकि वहां हमारे लोग बंधक हैं.”
इजराइल ने अपनी योजना का साफ तौर पर खुलासा नहीं किया है, लेकिन नहौम ने यह बात साफ की है कि इजराइल अपने नागरिकों के जीवन को कितना महत्व देता है और उन्हें मुक्त करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
इजराइल के लिए अपने बंधकों को छुड़ाने के लिए ज़मीनी ऑपरेशन चलाना कोई नई बात नहीं है. इज़राइल के सबसे प्रसिद्ध सैन्य नायकों में से एक पीएम नेतन्याहू के बड़े भाई योनातन (योनी) नेतन्याहू 1976 में चलाए गए सबसे प्रसिद्ध अभियान, ऑपरेशन एंटेबे का हिस्सा थे. इसके तहत 100 से अधिक यहूदी बंधकों को बचाया गया था.
ऑपरेशन एंटेबे
योनी नेतन्याहू इजराइली सेना के इलीट सायरेट मटकल के एक सम्मानित अधिकारी थे. उन्होंने चार जुलाई, 1976 को उस मिशन का नेतृत्व किया था जिसके तहत 102 यहूदी बंधकों को मुक्त कराया गया था. उन्हें “पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ पेलेस्टाइन” के सदस्यों और पश्चिम जर्मन एक वामपंथी कट्टरपंथी समूह “रेड आर्मी फ़ैक्शन” ने युगांडा के एंटेबे में बंधक बनाकर रखा था.
यह बंधक वे यात्री थे जो एथेंस से तेल अवीव जा रहे एयर फ्रांस के विमान में सवार थे. इस प्लेन को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था. वे उन्हें युगांडा ले गए थे, जहां हिंसक तानाशाह ईदी अमीन का शासन था और वह फिलिस्तीनियों का एक मजबूत समर्थक था.
इन आतंकियों ने विमान के 258 यात्रियों में से उन लोगों को छोड़ दिया था जो इजराइली या यहूदी नहीं लग रहे थे. बाकी के लोगों को बंधक बना लिया था. वे इजराइल, केन्या, पश्चिम जर्मनी और कुछ अन्य देशों की जेलों में बंद 53 आतंकवादियों की रिहाई की मांग कर रहे थे.
इसके जवाब में इजराइल ने चार हरक्यूलिस विमानों में लगभग 200 सैनिकों और एक कमांडो ग्रुप को भेजा. इज़राइली कमांडो ने उस टर्मिनल को तोड़ दिया जहां बंधकों को रखा गया था. वे 102 लोगों को बचाने में कामयाब रहे और सभी आतंकवादियों व युगांडा के दर्जनों सैनिकों को मार गिराया. इस गोलीबारी में तीन बंधकों की मौत हो गई थी.
हमले के दौरान योनी नेतन्याहू की मौत हो गई. वे मरने वालों में एक मात्र इजराइली थे. बाद में उनके सम्मान में कार्रवाई को मिवत्सा योनातन (ऑपरेशन योनातन) नाम दिया गया.
हमास के बंधक
इजराइल के अधिकारियों के पास फिलहाल गाजा के पास के गांवों और कस्बों से अगवा किए गए लोगों की कोई संख्या नहीं है. रिपोर्ट में यह आंकड़ा करीब 130 बताया गया है. नहौम ने कहा कि सरकार ने अब एक हॉटलाइन स्थापित की है और उन परिवारों के साथ कोआर्डिनेशन के लिए एक जनरल के नेतृत्व में टीम गठित की है, जिनके परिजनों का अपहरण किया गया है.
हालात से निपटने के लिए इज़राइल की ओर से एक खाका तैयार किया गया है. नहौम ने कहा कि इज़राइल को अपने निर्दोष नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, हमारी सभी धमकियों के बावजूद हमास अनिवार्य रूप से अपने कुछ कैदियों को वापस चाहता है. यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब यह है कि इजराइल को कैदियों की अदला-बदली करनी चाहिए? उन्होंने कहा कि इजराइल में सभी फिलिस्तीनी कैदी आतंकवादी हैं. हमारे लिए जीवन का मूल्य बहुत ऊंचा है… और मेरा मानना है कि हमें ऐसा करने के लिए कुछ भी करना चाहिए. हमारे निर्दोष नागरिकों को वापस लाया जाए.
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह उनकी निजी राय है और वे सरकार की ओर से नहीं बोल सकतीं.