How Bhartiya Nyaya Sanhita 2023 Can Empower Women In India? – भारत में महिलाओं को कैसे सशक्त बना सकती है भारतीय न्याय संहिता 2023?
भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रमुख शक्तियों में से एक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधानों को दी गई प्राथमिकता में निहित है. इसमें यौन अपराध, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, विवाह से संबंधित अपराध, गर्भपात का कारण बनने वाले अपराध और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए एक समर्पित चैप्टर, अध्याय 5 है, जिसका शीर्षक ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध’ है. यह इन मुद्दों के लिए कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करता है. पहली बार महिलाओं के खिलाफ अपराधों को पहचानने के लिए ऐसे कृत्यों को शामिल किया गया है जो जघन्य हैं, फिर भी अपराध नहीं माने जाते हैं.
महिला उत्पीड़न पर कड़ी सजा का प्रावधान
पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करना या शादी का झूठा वादा करके, पदोन्नति या रोजगार देने का वादा करके यौन कृत्य करने को नए कानून के तहत पहली बार अपराध माना जाएगा. इसके अलावा विभिन्न श्रेणियों के तहत बलात्कार के लिए सजा 10 साल से लेकर मृत्युदंड तक है. सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास होगी. नाबालिग से बलात्कार की सजा में मृत्युदंड देना शामिल है. बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को 7 साल की कैद से बढ़ाकर 10 साल की जेल की गई है. नए कानून में पीड़ित की लगातार खराब हालत होने या मौत का कारण बनने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. किसी महिला को अपमानित करने के इरादे से या यह जानते हुए कि वह उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाएगा, उस पर हमला करने या आपराधिक बल का प्रयोग करने, दहेज हत्या और गर्भपात कराने के इरादे से किए गए कार्य के कारण होने वाली मृत्यु पर भी दंड के कुछ प्रावधान हैं.
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को साफ परिभाषित किया गया
कानून में अपराधों की स्पष्ट परिभाषा, उनके दंड और विभिन्न परिदृश्यों के लिए साफ स्पष्टीकरण दिया गया है. यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के विभिन्न रूपों को परिभाषित और स्पष्ट रूप से आपराधिक बनाकर, अपराध करने वालों की जवाबदेही भी स्थापित करता है. जब अपराधियों को सख्त कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा तो यह अपराधियों के बीच एक मजबूत संदेश भेजेगा कि इस तरह के व्यवहार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इससे महिलाओं और बच्चों के लिए अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद मिलेगी. जब महिलाओं को पता चलेगा कि ऐसे अपराध स्पष्ट रूप से कानूनी दंडनीय हैं तो उनमें सुरक्षा की भावना अधिक आएगी. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ सकता है और यह समाज के विभिन्न पहलुओं में उनकी भागीदारी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
ऐसे कानूनों के अस्तित्व और दंडों की गंभीरता से महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. इस तरह की जागरूकता से अपराधों की बेहतर रिपोर्टिंग और उनकी रोकथाम हो सकती है.
इसमें सहमति, मानसिक स्वास्थ्य और उम्र के महत्व पर जोर है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं का अपने शरीर और निर्णयों पर नियंत्रण हो, लैंगिक समानता को बढ़ावा मिले.
“भारतीय न्याय संहिता 2023” के कानूनी प्रावधान उचित समय पर अपराध से बचे लोगों को उबरने और उनके जीवन के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए सहायता प्रणालियों की स्थापना का भी समर्थन कर सकते हैं.
नया विधेयक समाज में अत्यंत आवश्यक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में सर्वोपरि भूमिका निभाएगा. इसका गहरा प्रभाव मानसिकता और सामाजिक दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता में निहित है.
कुल मिलाकर एक मजबूत कानूनी ढांचा यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय समाज में महिलाओं को समाज के समान सदस्यों के रूप में मान्यता दी जाए, भेदभाव और हिंसा से बचाया जाए और जीवन के सभी पहलुओं में पूरी तरह से भाग लेने का अधिकार दिया जाए.
दंड स्वरूप सामुदायिक सेवा का प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 में मानहानि, शराब पीने के बाद दुर्व्यवहार करने जैसे अपराध के लिए दंड स्वरूप सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है.
औपनिवेशिक काल के तीन कानूनों की जगह लेंगे तीन विधेयक
अमित शाह ने निचले सदन में तीन विधेयक पेश किया, जो औपनिवेशिक काल के तीन कानूनों की जगह लेंगे. इनमें भारतीय दंड संहिता, 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1898 और भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 शामिल हैं. इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं.
भारतीय अदालतों में मामूली अपराध के दोषियों को पौधरोपण, धार्मिक स्थलों एवं आश्रय स्थलों पर सेवा आदि करने के आदेश के बाद छोड़ दिया जाता है, लेकिन भारतीय न्याय संहिता विधेयक में छोटे अपराध के संदर्भ में सामुदायिक सेवा का प्रावधान शामिल किया गया है.
विधेयक में मानहानि, लोक सेवकों के गैर कानूनी रूप से कारोबार करने, कानूनी शक्ति के अनुपालन को रोकने जैसे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को दंड के एक प्रकार में शामिल किया गया है.
भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक मानहानि के मामले में साधारण कारावास से लेकर दो वर्ष की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है, लेकिन इस विधेयक में मानहानि के मामले में साधारण कारावास से लेकर दो वर्ष की कैद या जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है.
Featured Video Of The Day
अनवरुल हक काकर कैसे पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुने गए?