Horoscope of gir cows is made in Gaushala of Matihani village of Gaya bihar
Horoscope of Gir Cows Make In Gaya: गया जिले के बोधगया प्रखंड के मटिहानी गांव स्थित एक गौशाला में रहने वाले गिर गायों की कुंडली बनाई जाती है. यह सुनकर आपको को थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन यह सच है. यह गौशाला साधारण गायों का नहीं बल्कि गिर गाय का गौशाला है. जहां 172 गाय और बछड़ा है. मटिहानी के बजेंद्र कुमार चौबे ने बताया कि वह 8 साल पहले गुजरात से 2 गिर गाय लेकर आए थे और आज गाय और बछड़ा मिलाकर इसकी कुल संख्या 172 हो गई है.
गुजरात के जंगलों में पाए जाती है गिर गाय
बिजेंद्र कुमार बताते हैं कि इसके धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि गिर गाय ऑक्सीजन ग्रहण कर ऑक्सीजन ही छोड़ता है जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं. गिर गाय के महत्व को जानकार गुजरात के गिर जंगलों में पाए जाने वाले गिर गायों की संख्या बढ़ाई. इनके गौशाला में दर्जनों गिर गाय और बछड़ा है.
गौ पालक बिजेंद्र कुमार चौबे ने बताया कि जन्म के समय हीं बछड़ा या बछड़ी का जन्म का दिनांक वह गौ के जानकार को बेहतर है, जहां से उन्हें गायों की कुंडली बनाकर दी जाती है. साथ ही उसी के आधार पर उसका नामाकरण भी होता है. बताया कि गायों की कुंडली बनाने जा मुख्य उद्देश्य यह है कि द्वापर युग में भी गायों को नाम से पुकारा जाता था. भगवान कृष्ण भी गाय को उसके नाम से पुकारते थे.
नक्षत्र कुंडली के आधार पर बनती है औषधि
गौ विज्ञान और गौ ग्रन्थ के शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण पदमा गाय का दूध पीते थे. गाय की उत्पति समुद्र मंथन के दौरान हुई है. जब इतने सारे गिर गाय का पालन कर रहे हैं तो कोई न कोई कभी न कभी ऐसे ग्रह, मूल, योग, नक्षत्र में गाय किसी बछड़ा या बछड़ी को जन्म देगी जो बहुला, सुशीला, कामधेनु के रूप में गाय मिल जाए. दूसरा स्वास्थ्य अनुसार नाम और कुंडली बनाने का उद्देश्य यह है कि नक्षत्र कुंडली के आधार पर औषधि बनती है.
गिर गाय के पंचगव्य के औषधि बनाई जाती हैं. गायों के नक्षत्र, कुंडली के आधार पर तैयार किया जाता है, जिससे औषधीय पंचगव्य बनाया जाता है. किस मूल नक्षत्र, गोत्र में पैदा हुई है उस गाय का पंचगव्य का पदार्थ किस रोग के लिए सबसे लाभकारी दवा के रूप में काम करेगा यह निर्भर करता है. गिर गाय के दूध और गौमूत्र में सवर्ण के अवयव पाए जाते हैं. स्वामी रामदेव ने भी गिर गाय के दूध और गौमूत्र से सवर्ण के अवयव को निकाल कर रखा है.
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