Hindus Have Right To Worship In Basement Of Vyas Ji Located In Gyanvapi, Muslim Side Will Challenge – ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा का अधिकार, मुस्लिम पक्ष देगा चुनौती
मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि अंतिम फैसले तक अभी लंबा सफर तय करना है, जहां तक आज के फैसले की बात है तो मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ ऊंची अदालतों में जाएगा…न्याय होगा.”
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा, ”आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे कर अपना अंतिम फैसला दे दिया. अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे.”
अदालत द्वारा दिये गये आदेश में कहा गया है, ”जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग—भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.”
यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा—पाठ किये जाने संबंधी आवेदन पर जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी.
हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था. अधिवक्ता ने कहा कि अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराये जाने के बाद, वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल के दौरान तहखाने में पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था और बैरिकेडिंग कर दी गयी थी.
उन्होंने कहा कि अब वहां फिर से हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिये. इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए अदालत से कहा था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है, लिहाजा उसमें पूजा—पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष आलोक कुमार ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘आज काशी की एक अदालत ने हर हिंदू के दिल को खुशी से भरने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.’ कुमार ने इस फैसले पर हिंदू समाज को बधाई दी और कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इसके बाद ज्ञानवापी मामले पर भी अदालत का फैसला जल्द आएगा. हमें विश्वास है कि सुबूतों और तथ्यों के आधार पर फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा.’
इस बीच, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ”इस फैसले से मायूसी जरूर है लेकिन अभी ऊपरी अदालतों का रास्ता खुला है. जाहिर है कि हमारे वकील इसे चुनौती देंगे.”
उन्होंने कहा, ”ज्ञानवापी का मामला अयोध्या के मसले से अलग था. अभी लम्बा रास्ता तय करना है. हमें उम्मीद है कि इसे ऊपर की अदालत में चुनौती दी जायेगी.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)