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himachal SMC teachers streets fight to finish Said this time we will take orders not assurances ann | Himachal: आरपार की लड़ाई के लिए सड़कों पर SMC अध्यापक, बोले


Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में सरकार की परेशानी एक बार फिर बढ़ चुकी है. सरकार के साथ ही यह परेशानी राज्य में पढ़ रहे ऐसे स्कूली बच्चों की भी है, जहां सारा ज़िम्मा ही SMC अध्यापकों के कंधे पर है. हिमाचल प्रदेश में SMC अध्यापक आर-पार की लड़ाई के मूड में एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं.

यह सभी अध्यापक नियमितीकरण की मांग उठा रहे हैं. इससे पहले भी SMC अध्यापक शिमला के चौड़ा मैदान में ही दिन-रात हड़ताल पर बैठे रहे. तब शिक्षा मंत्री ने ख़ुद धरना स्थल पर आकर मांगों पर विचार कर सुने जाने का आश्वासन दिया था. अब इतना लंबा वक़्त बीत जाने के बाद SMC अध्यापकों की मांग लंबित है. ऐसे में अब यह अध्यापक आर पार की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरे हैं.

अध्यापकों के लिए स्थायी पॉलिसी की मांग
SMC अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता निर्मल ठाकुर ने कहा कि SMC अध्यापक बीते करीब  सालों से प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इनके लिए सरकार स्थाई पॉलिसी नहीं ला रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने जल्द मांग उनकी मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया था. वह लंबे वक्त से अपने लिए स्थायी पॉलिसी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है. SMC अध्यापक दूरदराज के इलाकों में अपनी सेवाएं तो देते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल में छुट्टियों के वक्त का वेतन तक नहीं दिया जाता.

इन अध्यापकों को केवल 14 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है. इन पैसों में घर-परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द उनके लिए एक स्थायी पॉलिसी लाई जाए और 2 हजार 555 शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियुक्ति दी जाए. इन अध्यापकों का दावा है कि राज्य में सबसे ज़्यादा ऐसे स्कूल हैं, जहां सारा ज़िम्मा SMC अध्यापकों के कंधे पर ही है.

हम संयमित, लेकिन हड़ताल हमारी मजबूरी
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बीते दिनों सभी SMC अध्यापकों से संयम रखने की अपील की थी. इस पर अध्यापकों का कहना है कि वे पहले से ही संयम रखे हुए हैं. शिक्षा मंत्री के कहने पर वे और ज़्यादा संयम रखने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में यहां धरना-प्रदर्शन करने के लिए आना पड़ रहा है. बच्चों की परीक्षा शुरू होने वाली है. यह उनकी परीक्षा से पहले रिवीजन का वक़्त होता है.

ऐसे में वे नहीं चाहते थे कि हड़ताल पर जाना पड़े, लेकिन राज्य सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. ऐसे में उन्हें मजबूरी के चलते दोबारा हड़ताल पर आना पड़ा है. अध्यापकों का कहना है कि इस बारे में किसी तरह का आश्वासन नहीं, बल्कि नियमितीकरण का ऑर्डर लेकर ही जाएंगे. अब यह आरपार की लड़ाई का वक़्त है.

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