Himachal Pradesh Landslides 2000 A Day To 200 Rain Hits Livelihoods Hard In The State – हिमाचल में आसमानी कहर से काम-धंधे चौपट, 10 गुना कम हो गई कमाई
हिमाचल प्रदेश इन दिनों मॉनसूनी बारिश की तबाही का सामना कर रहा है. बीते चार दिनों में भारी बारिश और लैंडस्लाइड की घटनाओं में अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है. हिमाचल में बारिश से हुई तबाही को सिर्फ मौतों की संख्या से नहीं मापा जा सकता. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुताबिक, बारिश और लैंडस्लाइड की घटनाओं में राज्य को करीब 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह संख्या टैक्सी ड्राइवरों, सेब उत्पादकों और होटल मालिकों के व्यक्तिगत नुकसान से बनी है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यटन और सेब व्यापार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15% हिस्सा है. भारी बारिश से सबसे ज्यादा ये दोनों प्रभावित हुए हैं. आमतौर पर व्यस्त रहने वाली शिमला की सड़कें अब लगभग सुनसान हैं. टैक्सी चालक लगभग पूरा दिन कमाई के लिए यात्रियों की तलाश में बिताते हैं. जय मां दुर्गा टैक्सी यूनियन छोटा शिमला के अध्यक्ष नरेश वर्मा ने कहा, “इस सीजन में मैं आमतौर पर प्रतिदिन 2000 रुपये तक कमा लेता हूं. यह आंकड़ा अब घटकर महज 200 रुपये रह गया है.”
वहीं, अभय और गीतिका डोगरा 20 साल से शिमला में एक होटल और एक कैफे चला रहे थे. इस बार भारी बारिश ने उनकी कमाई पर असर पड़ा. उनके होटल ‘फिरहिल’ में पहले 50-60% बिजनेस होता था. जो घटकर केवल 5% रह गया है. एक पेड़ गिरने के बाद उनका कैफे भी क्षतिग्रस्त हो गया. अभय बताते हैं, “पहले महीने की कमाई करीब-करीब 4 लाख रुपये हुआ करती थी, अब हजारों में भी नहीं है.”
इसी तरह Cafe 103 नाम से कैफे चलाने वाली गीतिका ने कहा कि पेड़ गिरने के बाद उनके कैफे की दीवारों पर दरारें आ गई हैं. कारोबार ठप हो गया है.
भारी बारिश और लैंडस्लाइड से सेब कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश ने सेब के फूलों को नुकसान पहुंचाया. जो फसल बच गई, उसे टूटी सड़कों के कारण ट्रांसपोर्ट करना मुश्किल है.
हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के सह-संयोजक संजय चौहान ने कहा, “हमारी 75% फसल नष्ट हो गई. चूंकि कई सड़कें बंद हैं, इसलिए हमें तैयार सेब बाहर भेजने में दिक्कत आ रही है.”
इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्य मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा, “जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 7% है. सेब व्यापार का योगदान भी उतना ही है. दोनों बुरी तरह प्रभावित हैं.”
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