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Himachal Pradesh Debt: Technical Education Minister Rajesh Dharmani Says BJP did financial mismanagement ann | हिमाचल प्रदेश में खत्म नहीं हो रहा कर्ज! मंत्री बोले


Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर सियासत एक बार फिर तेज हो गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्ज को लेकर बीजेपी के पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधा है.

धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बीते दो सालों में 30 हज़ार 80 करोड़ का लोन लिया है. लोन का बड़ा हिस्सा पूर्व बीजेपी सरकार की बजट ऑब्लिगेशन पूरी करने और कर चुकाने में गया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी वित्तीय स्थिति को लेकर हिमाचल को बदनाम कर रही है. बीजेपी नेताओं को हिमाचल को बदनाम करने की बजाय दिल्ली में प्रदेश की पैरवी करनी चाहिए.

हिमाचल सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा, ”कांग्रेस सरकार ने 2 साल में 30 हज़ार 80 करोड़ का कर्ज लिया. इसमें 9 हज़ार 337 करोड़ बीजेपी सरकार की बजट ऑब्लिगेशन को पूरा करने के लिए खर्च हुआ. वहीं, 7 हज़ार 464 करोड़ कर्ज के मूलधन के रूप में चुकाए गए हैं. बाकी बचे 11 हज़ार 226 करोड रुपये विभिन्न विकास योजनाओं पर खर्च किए गए हैं.”

सैलरी-पेंशन पर खर्च का जिक्र

धर्माणी ने कहा कि हर महीने सरकार 2 हजार  करोड़ सैलरी-पेंशन देने में खर्च करती है. उन्होंने कहा कि 60 करोड़ HRTC ग्रांट के रूप में और इस साल 2 हजार 200 करोड़ सरकार बिजली बोर्ड को दे रही है.

बीजेपी पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप
राजेश धर्माणी ने कहा कि एनपीएस का 9 हज़ार करोड़ अभी भी केंद्र सरकार के पास ही है. वहीं, एनपीएस की वजह से कर्ज की सीमा में भी 1 हजार  करोड़ की कटौती कर दी गई. राजेश धर्माणी ने एम बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर दुष्प्रचार कर रही है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोन पूर्व बीजेपी सरकार के समय में लिया गया है. 75 हज़ार करोड़ का कर्ज़ कांग्रेस सरकार को विरासत मिला है. साथ ही 10 हज़ार करोड़ की कर्मचारियों की देनदारियां भी मिली हैं. 

बीजेपी को धर्माणी की नसीहत
बीजेपी पर निशाना साधते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि जो इस व्यवस्था के लिए दोषी हैं, वह वर्तमान सरकार पर दोष लगाकर मुक्त होना चाह रहे हैं. राजेश धर्माणी ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने वित्तीय अनुशासन का फैसला लेकर व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश की है, जबकि बीजेपी ने हिमाचल को केवल बदनाम करने की कोशिश की. उन्होंने बीजेपी को नसीहत देते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं को दिल्ली में हिमाचल के हितों की पर भी करनी चाहिए.

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