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Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में एक सीट के लिए हुए राज्यसभा चुनाव के बाद सियासी उलटफेर की संभावनाएं नजर आ रही हैं. जानकारी है कि कांग्रेस के ही कुछ विधायक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं. बागी तेवर दिखा चुके छह विधायकों के अलावा कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े विधायक भी मुख्यमंत्री को हटाने की मांग कर चुके हैं.
इस बीच दोबारा चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर हिमाचल प्रदेश का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? हिमाचल के नए मुख्यमंत्री के लिए सबसे पहला नाम मौजूदा उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का है. दिसंबर 2022 में भी मुकेश अग्निहोत्री मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे. उस वक्त ज्यादा कांग्रेस विधायकों का साथ मिलने के चलते सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम पद सौंपा गया. हालांकि, अब मुकेश अग्निहोत्री का मुख्यमंत्री बनना इतना आसान भी नहीं होने वाला है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने ही किसी वफादार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर अड़ सकते हैं. जानकारी है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मौजूदा उद्योग मंत्री और अपने कॉलेज के वक्त के मित्र हर्षवर्धन चौहान को मुख्यमंत्री बनाने की मांग आलाकमान के सामने रख सकते हैं.
सुक्खू गुट से बनेंगे डिप्टी चीफ मिनिस्टर?
अगर मुकेश अग्निहोत्री को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो सुखविंदर सिंह सुक्खू के गुट से नया डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाना होगा. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो आने वाले वक्त में कांग्रेस की सियासी डगर और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगी. हिमाचल प्रदेश में छेड़े गए इस सियासी द्वंद्व को सुलझाने के लिए कांग्रेस ने डी.के. शिव कुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हिमाचल के लिए रवाना किया है. देखना दिलचस्प होगा कि दोनों रणनीतिकार इस रण में कोई नीति बना सकेंगे या फिर बीजेपी के दावे के मुताबिक सरकार गिर जाएगी.
मुकेश अग्निहोत्री हो सकते हैं हिमाचल के दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में अगर तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार का नाम छोड़ दिया जाए, तो अब तक सिर्फ राजपूत समाज से ही मुख्यमंत्री बनते आए हैं. शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के एकमात्र ब्राह्मण समाज के मुख्यमंत्री थे. पत्रकार से नेता बने मुकेश अग्निहोत्री अगर मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वह हिमाचल प्रदेश के दूसरे ब्राह्मण मुख्यमंत्री होंगे. डॉ. यशवंत सिंह परमार, राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर राजपूत समाज से हैं.
14 महीने में ही क्यों बिगड़ गया कांग्रेस का सियासी खेल?
दिसंबर 2022 में जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश की सत्ता सौंप गई थी, तब भी दूसरे कैंप के विधायक नाराज हो गए थे. मुख्यमंत्री ने जब काम करना शुरू किया, तो उनकी कार्यप्रणाली से भी कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की. जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री का वन मैन आर्मी के तौर पर काम करना उनके लिए भारी पड़ गया. विधायक जब अपने इलाके के काम नहीं करवा सके, तो उनमें नाराजगी बढ़ती चली गई.
खतरा भांप नहीं सकी टीम सुक्खू!
राज्यसभा चुनाव में अपनी नाराजगी से बदला लेने का विधायकों को मौका देखा, तो वह इससे पीछे नहीं हटे. सुधीर शर्मा और राजिंदर राणा मंत्री पद न दिए जाने से नाराज रहे, जबकि अन्य विधायक अपने क्षेत्र में काम न होने से नाराज होकर कांग्रेस का साथ छोड़ गए. सुधीर शर्मा और राजिंदर राणा तो खुले मंच से राजनीति में संभावनाएं हमेशा होने का बयान देकर बागी तेवर दिखाते रहे, लेकिन अन्य विधायकों के छोड़ कर जाने के खतरे को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके सहयोगी भांप नहीं पाए.
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