Himachal kisan sabha and apple producers association marched to assembly CM Sukhvinder Singh Sukhu ANN
Shimla News: हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ ने गुरुवार को शिमला में विधानसभा मार्च किया. सुबह पंचायत भवन से विधानसभा के लिए शुरू हुआ मार्च चौड़ा मैदान पर समाप्त हुआ. किसानों -बागवानों ने कानून के तहत जमीन से बेदखली का मुद्दा उठाया. रास्ते से गुजर रहे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने काफिले को रुकवाकर किसानों की बात सुनी. किसानों ने मुख्यमंत्री को 21 सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किसानों- बागवानों को मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि कानूनी अड़चनों को दूर कर आगे बढ़ा जाएगा. सरकार किसानों- बागवानों को उजड़ने नहीं देगी. मुख्यमंत्री ने बताया कि राजस्व मंत्री जगत नेगी कानूनी पहलुओं को देखेंगे. सुप्रीम कोर्ट में बड़े वकीलों को नियुक्त कर पैरवी की जाएगी. किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने कहा, “हिमाचल में किसान बागवान भूमि से बेदखल किए जा रहे हैं. वर्षों से सरकारी भूमि पर खेती बाड़ी करने वाले किसानों-बागवानों को उजाड़ा जा रहा है.”
किसान सभा और सेब उत्पादक संघ ने निकाला मार्च
उन्होंने बताया कि शामलात भूमि, चकोतेदार, नौ तोड़ जमीन किसानों के नाम पर नहीं है. ऐसे में किसानों-बागवानों पर भूमिहीन होने का खतरा मंडरा रहा है. वन संरक्षण अधिनियम भी किसानों- बागवानों के लिए नासूर बन गया है. कुलदीप तंवर ने कहा कि 1980 का वन संरक्षण कानून, 1988 की राष्ट्रीय वन नीति और 12 दिसंबर 1996 को आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की वजह से स्थिति उत्पन्न हुई है.
किसानों- बागबानों को बेदखली का सता रहा है डर
2006 का वन अधिकार कानून भी समस्या को बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों- बागबानों को कानूनों के कारण भूमि से वंचित होना पड़ रहा है. राजस्व मंत्री जगत नेगी ने बताया कि किसानों-बागवानों के हितों का सरकार ध्यान रखेगी. वन अधिकार अधिनियम के तहत लाभ देने का प्रयास भी होगा. 2005 से पहले 50 बीघा तक वन भूमि रखने वालों को मालिकाना हक मिलेगा. प्रदेश में संख्या दो लाख के करीब होने का अनुमान है.
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