Himachal International Mandi Shivratri Mahotsav Governor Shiv Pratap Shukla presided ceremony ann
International Shivratri Festival: शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मंडी महोत्सव का समापन हो गया. एक हफ्ते तक छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में भारी धूम के साथ शिवरात्रि महोत्सव मनाया गया. शिवरात्रि महोत्सव के दौरान निकली जलेब में शिव भक्तों की भारी भिड़ देखने को मिली.
शिवरात्रि महोत्सव के समापन समारोह के अध्यक्षता राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने की. इस दौरान उनके साथ लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी मौजूद रहीं. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि वे बेहद भाग्यशाली हैं कि उन्हें स्थानीय देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है. वे शिवरात्रि महोत्सव की भव्यता एवं देव परम्पराओं के भी साक्षी बने हैं.
मीडिया के साथ बातचीत करते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हिमाचल के त्योहारों व उत्सवों की विश्वभर में एक अलग पहचान है. इससे प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है.
उन्होंने प्रदेश की संस्कृति को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने पर बल देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी हमारे देश व राज्य की एक ऐसी ऊर्जावान शक्ति है जो हमें विश्व भर में मजबूत राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाएगी. इससे पहले राज्यपाल ने माधोराय मंदिर में पूजा-अर्चना की और शोभा यात्रा में भी हिस्सा लिया.
अद्भुत देव समागम के साक्षी बने शिव भक्त
बता दें कि देव समागम के इस अद्भुत उत्सव में प्रदेशवासी स्थानीय देवी-देवताओं की झलक पाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके अलावा पर्यटक भी छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध मंडी में इस महोत्सव के आयोजन से प्रदेश की समृद्ध संस्कृति एवं परम्पराओं से रूबरू होते हैं. मंडी शिवरात्रि सिर्फ एक महोत्सव नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का त्योहार है. सालों से मंडी शिवरात्रि का महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
मंडी में शिवरात्रि महोत्सव का इतिहास
छोटी काशी में शिवरात्रि महोत्सव को मनाए जाने के पीछे कई दंत कथाएं प्रचलित हैं. कुछ दंतकथाओं के मुताबिक, 1527 में मंडी शहर की स्थापना के बाद से शिवरात्रि मेला मनाया जाना शुरू हुआ है. वहीं, कुछ अन्य दंतकथाओं के मुताबिक शिवरात्रि मेला 300 साल से 350 साल पहले से मनाया जाता है.
शिवरात्रि महोत्सव का राज परिवार से गहरा नाता
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मंडी के शिवरात्रि महोत्सव का मंडी के राज परिवार से गहरा नाता है. जब तक शहर में भगवान माधव राय की पालकी नहीं निकलती, तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभा यात्रा नहीं निकाली जाती. राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है. 18वीं शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों का निधन हो गया था. इसके बाद राजा सूरज सेन ने अपना सारा राज पाठ भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को सौंप दिया और खुद उनके सेवक बन गए. यही कारण है कि आज भी भगवान माधव राय की पालकी को शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा से पहले निकाला जाता है.