Himachal Contract workers at IGMC Shimla no get salaries for two months warn for agitation ANN
Himachal Pradesh News: अपने घर-परिवार का गुजर-बसर करने के लिए हर महीने वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों को अगर सैलरी ही न मिले, तो परिवार को पाला कैसे जाएगा. यही सवाल शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में काम कर रहे कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के सामने आ खड़ा हुआ है.
आईजीएमसी में सफाई कर्मचारी, वार्ड अटेंडेंट, मेस वर्कर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के साथ लॉन्ड्री कर्मचारियों को वेतन ही नहीं मिला है. अपनी मांगों को लेकर सोमवार दोपहर आईजीएमसी कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन सीटू के बैनर तले मुख्य गेट पर एकत्रित हुए और धरना-प्रदर्शन किया.
बड़े आंदोलन की सीधी चेतावनी
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन ने अस्पताल के प्रिंसिपल, एडिशनल डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से मांग उठाई है कि जल्द से जल्द उनके वेतन के भुगतान के साथ अन्य मांगों को पूरा किया जाए. यदि ऐसा नहीं होता है, तो 23 दिसंबर के बाद इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज प्रशासन और ठेकेदारों की कथित मिलीभगत के खिलाफ आंदोलन की राह अख्तियार की जाएगी. इसके तहत हड़ताल और धरना-प्रदर्शन किए जाएंगे. यही नहीं, यूनियन ने राजभवन, सचिवालय और बड़े अधिकारियों के घेराव की भी चेतावनी दी है.
भीगी आंखों ने दी निर्णायक आंदोलन की चेतावनी
यूनियन का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन के साथ मिलकर ठेकेदार उनका शोषण कर रहे हैं. लंबे वक्त से इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के तौर पर काम कर रही एक महिला कर्मी तो मीडिया के साथ बातचीत के दौरान भावुक हो गई और रोकर अपने आप बीती सुनाई. महिला कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना काल के दौरान उन्होंने ऐसे मरीजों की सेवा की, जिनके परिवार के लोग भी उनके पास जाने के लिए तैयार नहीं थे. आज उनकी मेहनत का अस्पताल प्रशासन यह फल दे रहा है कि उन्हें वक्त पर वेतन ही नहीं दिया जा रहा.
नियमों का किया जा रहा उल्लंघन- मेहरा
वहीं, सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि ठेकेदार गंभीर रूप से मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. कर्मचारियों को वक्त पर वेतन दिया जाना चाहिए, लेकिन एक साजिश के तहत वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऐसे करीब 150 कर्मचारी हैं, जिन्हें दो महीने का वेतन नहीं दिया गया है.
यह नियमों के खिलाफ है. इन सभी कर्मचारियों से अतिरिक्त काम भी करवाया जाता है. बावजूद इसके इन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के ठेकेदार श्रम कानून और 12 जून को श्रम कार्यालय में हुए समझौते की भी खुली अवहेलना है.
उन्होंने चेताया है कि अगर मांगे नहीं मानी गई, तो जल्द ही अस्पताल की यह कर्मचारी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. इस बारे में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राहुल राव से बात करने की कोशिश की गई, तो उनसे संपर्क नहीं हो सका.
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