Sports

High Court Rejects Petition Seeking Permission For Arrested Leaders To Campaign Digitally – उच्च न्यायालय ने गिरफ्तार नेताओं को डिजिटल तरीके से प्रचार की अनुमति संबंधी याचिका खारिज की



कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालतें नीतिगत निर्णय नहीं लेती हैं और ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेना संसद का काम है.

पीठ ने कहा, ‘‘आप चाहते हैं कि गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को डिजिटल तरीके से चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जाए…यदि ऐसा किया गया तो सभी खूंखार अपराधी राजनीतिक पार्टियां बना लेंगे और दाऊद इब्राहिम भी डिजिटल तरीके से प्रचार करेगा.”

पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसे किसी भी व्यक्ति को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं दे सकते जो हिरासत में है. अन्यथा, सभी बलात्कारी, हत्यारे चुनाव से महज पहले राजनीतिक दल बनाने लगेंगे.”

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को जुर्माना लगाने की चेतावनी दी, लेकिन बाद में ऐसा न करने के आग्रह को तब स्वीकार कर लिया, जब उसके वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक छात्र है.

अदालत विधि छात्र अमरजीत गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. गुप्ता निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता की घोषणा किये जाने के बाद नेताओं, खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, की गिरफ्तारी के समय को लेकर आहत हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘ठीक है, हम जुर्माना नहीं लगायेंगे, लेकिन आप उन्हें (याचिकाकर्ता को) शक्तियों के विभाजन के बारे में बताइए.” केजरीवाल को 21 मार्च को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था.

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘आप बहुत ही दुस्साहसी बन रहे हैं. यह बहुत ही दुस्साहसपूर्ण है. यह याचिका कानून के मौलिक सिद्धांतों के विरुद्ध है. आप हमें कानून के विरुद्ध काम करने को कह रहे हैं. हम कानून नहीं बनाते हैं, हम नीतिगत निर्णय नहीं लेते हैं.”

पीठ ने कहा, ‘‘हम राजनीति से दूर रहना चाहते हैं और आज ज्यादा से ज्यादा लोग हमें राजनीति में धकेल रहे हैं. आप हमें राजनीति में अधिक खींच रहे हैं. एक व्यक्ति आता है और कहता है कि उसे (केजरीवाल की ओर प्रत्यक्ष इशारा करते हुए) जेल से बाहर कीजिए, एक व्यक्ति कहता है कि उसे जेल में रखिए. आरोपी कानूनी उपचार का रास्ता अपना रहा है. अदालतें न्यायिक विवेक का इस्तेमाल कर आदेश जारी कर रही हैं.”

जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के लागू हो जाने के बाद किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, तब न्यायालय ने कहा, ‘‘यदि एक प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है और हत्या कर देता है, तो इसका क्या यह मतलब है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.”

पीठ ने कहा, ‘‘आप क्या कर रहे हैं? कृपया समझें. हत्या और बलात्कार में शामिल लोग चुनाव से पहले राजनीतिक दल बनाना शुरू कर देंगे. इसमें हस्तक्षेप करना हमारा काम नहीं है. हम कानून नहीं बना सकते.”

अदालत ने कहा कि वह यह कैसे तय कर सकती है कि प्रचार कैसे किया जाना है और वह यह कैसे कह सकती है कि जेल में बंद किसी नेता को डिजिटल रूप से प्रचार करने के अभियान में शामिल होने की अनुमति दी जायेगी.

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *