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He Left NCP When Center Started ED Probe: Sharad Pawars Attack On Nephew Ajit Pawar – केंद्र ने ED जांच शुरू कराई तो वे NCP छोड़ गए : शरद पवार का भतीजे अजित पवार पर हमला



अपने भतीजे अजित पवार का नाम लिए बिना शरद पवार ने कहा कि उनका दावा है कि वे विकास के लिए सरकार का हिस्सा का बनना चाहते थे, लेकिन यह सच नहीं है. अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी विधायकों के एक समूह ने पिछले महीने बगावत कर की दी थी और महाराष्ट्र की शिवसेना- बीजेपी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे.

विकास के लिए सरकार के साथ जाने की बात सच नहीं

शरद पवार ने दावा किया, ‘‘पूर्व में कुछ बदलाव हुए थे. हमारे कुछ सदस्य हमें छोड़कर चले गए. वे (अजित पवार गुट) कहते हैं कि वे विकास के लिए गए, लेकिन यह बिल्कुल सच नहीं है. केंद्र ने उनके खिलाफ ईडी की जांच शुरू कराई थी और वे एनसीपी छोड़ गए. कुछ सदस्यों (अजित पवार गुट के) से कहा गया था कि वे उनके (बीजेपी) साथ आएं, नहीं तो उन्हें कहीं और भेज दिया जाएगा.”

शरद पवार ने रविवार को एनसीपी द्वारा आयोजित सोशल मीडिया बैठक में पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इसी बैठक के दौरान उन्होंने उक्त बातें कहीं.

अनिल देशमुख अपने फैसले पर अडिग रहे

शरद पवार ने कहा कि, ‘‘हालांकि, कुछ सदस्य जांच का सामना करने को तैयार हैं. (पूर्व गृह मंत्री) अनिल देशमुख 14 महीने जेल में रहे. यहां तक देशमुख से भी कहा गया था कि वे अपनी निष्ठा बदल लें, लेकिन वे अपने (एनसीपी नहीं छोड़ने के) फैसले पर अडिग रहे.”

अजित पवार ने जुलाई में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जबकि उनके समर्थक आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी.

शरद पवार ने कहा कि राज्य सरकार को महाराष्ट्र के आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘राज्य बेरोजगारी जैसी समस्या का सामना कर रहा है, किसान भी परेशान हैं.”

कारोबारी के घर में मिले थे चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार

गौरतलब है कि अजित पवार पिछले दिनों पुणे में शरद पवार से एक कारोबारी के घर में मिले थे. इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक अटकलें लगाई जाती रहीं. हालांकि शरद पवार ने बाद में कहा था कि वे (अजित पवार) परिवार के सदस्य हैं और परिवार के लोग क्या आपस में मिल नहीं सकते?  

इसके बाद शरद पवार की महाराष्ट्र के बीड में गुरुवार को आयोजित की गई  रैली से पहले अजीत पवार के गुट ने शरद पवार का स्वागत करते हुए बैनर लगाए थे. इनमें शरद पवार से राजनीतिक रूप से अलग हुए भतीजे को ‘आशीर्वाद’ देने का अनुरोध किया गया था. अजित पवार और उनके गुट के नेता शरद पवार को ही अपना सर्वोच्च नेता बताते हैं.



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