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Hathras Stampede Mayawati looking opportunity in disaster all parties seen avoiding


Hathras Stampede: ऐसा लगता है कि अपनी सियासी जमीन खो चुकीं मायावती को हाथरस जैसी आपदा में बड़ा अवसर दिख रहा है. तभी तो जो बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं बोल सके, जो बात सपा मुखिया अखिलेश यादव नहीं कह सके, हाथरस जाकर भी जिस बात को कहने से खुद राहुल गांधी बचते रहे, उस बात को खुलेआम मायावती ने अपने सोशल मीडिया के जरिए कह दिया है. इसने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या मुख्य धारा की जो तमाम पार्टियां बाबा भोले को बचाने में लगीं हैं, उनसे इतर मायावती की नजर उस बाबा भोले के वोट बैंक पर है, जिसकी गिरफ्तारी से मायावती को सियासी फायदा हो सकता है. आखिर क्या हैं मायावती के बयान के मायने और आखिर क्यों मीडिया के सामने बयान दे रहा बाबा भोले पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पा रहा है?

कहने को तो यूपी पुलिस कह रही है कि उसे बाबा भोले की तलाश है. लेकिन शायद पुलिस की कथनी और करनी में अंतर है. तभी तो बाबा के वकील कह रहे हैं कि बाबा कहीं फरार नहीं हैं और बाबा वही कर रहे हैं जो यूपी की पुलिस कह रही है. वहीं बाबा भोले को मीडिया ने तलाश लिया है और उनका बयान भी ले लिया है. लेकिन बाबा पुलिस को नहीं मिल रहे हैं और यही वजह है कि मायावती ने इस पूरे हादसे को अपनी सियासत की जमीन मजबूत करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं. 

बीएसपी मुखिया मायावती ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, ”देश में गरीबों, दलितों और पीड़ितों आदि को अपनी गरीबी, अन्य सभी दुःखों को दूर करने के लिए हाथरस के भोले बाबा जैसे अनेकों और बाबाओं के अन्धविश्वास व पाखण्डवाद के बहकावे में आकर अपने दुःख व पीड़ा को और नहीं बढ़ाना चाहिए. बल्कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए हुए रास्तों पर चलकर इन्हें सत्ता खुद अपने हाथों में लेकर अपनी तकदीर खुद बदलनी होगी अर्थात् इन्हें अपनी पार्टी बीएसपी से ही जुड़ना होगा, तभी ये लोग हाथरस जैसे काण्डों से बच सकते हैं.”

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सबसे एक कदम आगे बढ़ती नजर आईं बीएसपी चीफ
मायावती ने अपनी बात यहीं खत्म नहीं की है. बल्कि उन्होंने सीएम योगी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी से एक कदम आगे बढ़कर बाबा भोले के खिलाफ ऐक्शन लेने की भी बात कही है. उन्होंने लिखा है- ”हाथरस काण्ड में बाबा भोले सहित अन्य जो भी दोषी हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसे अन्य और बाबाओं के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी जरूरी है. इस मामले में सरकार को अपने राजनैतिक स्वार्थ में ढ़ीला नहीं पड़ना चाहिए ताकि आगे लोगों को अपनी जान ना गवांनी पडे़.”

एक के बाद एक तीन पोस्ट में मायावती का मैसेज साफ है कि बाबा भोले की गिरफ्तारी होनी चाहिए और सरकार को इस बाबा भोले के पास के वोट बैंक की चिंता नहीं करनी चाहिए. लेकिन ये गरीब, दलित, वंचित लोग जाएंगे कहां, उन्हें अपने दुखों को काटने के लिए कोई तो सहारा चाहिए ही होगा. मायावती ने खुद को उस सहारे के तौर पर पेश करने की कोशिश की है, जिसमें उन्होंने इन सभी लोगों को बाबा साहेब डाक्टर भीम राव अंबेडकर के नाम पर खुद से जोड़ने की बात कह दी है. बाकी मायावती भोले बाबा के खिलाफ खुलकर बैटिंग इसलिए कर पा रही हैं, क्योंकि उनके पास अब फिलहाल खोने के लिए कुछ नहीं है. उनके पास न वोट है और न ही वोट जुटाने की मशीन. लिहाजा बाबा के चमत्कार में फंसे कुछ लोग भी मायावती और उनकी पार्टी में अपना आसरा तलाश कर लें, तो ये मायावती के लिए विन-विन सिचुएशन ही होगी.

अब अपने वोट बैंक की चिंता कर रहीं मायावती
बाकी तो मायावती का तमिलनाडु दौरा भी इस बात का संकेत है कि मायावती एक बार फिर से राजनीतिक तौर पर सक्रिय होती दिख रही हैं. तमिलनाडु में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे के आर्मस्ट्रांग की हत्या और उसके बाद मायावती का उनके घर पहुंचना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि मायावती को अब भी अपने वोट बैंक की चिंता है और यूपी में जिस तरह से दलितों ने मायावती से मुंह मोड़ा है, उससे मायावती को धक्का तो लगा है. तमिलनाडु से लौटकर मायावती का बाबा भोले के खिलाफ मुखर होना उस वोट बैंक को अपने पाले में करने की कवायद ही है, जिसका झंडाबरदार वो बाबा बना हुआ है और जिसके वोट बैंक के डर से कोई भी सियासी दल मुंह खोलने को तैयार नहीं है.

बाकी तो बाबा का खास आदमी पकड़ा भी गया है. वही देव प्रकाश मधुकर, जिसे यूपी की पुलिस हाथरस कांड का मुख्य गुनहगार मान रही है. लेकिन बाबा के वकील भी तो एपी सिंह हैं तो वो अपनी नई थ्योरी लेकर आ गए हैं. जहरीले स्प्रे वाली थ्योरी, ताकि बाबा बच जाए. उन्होंने कहा, ‘भीड़ के बीच कुछ लोगों के हाथ में बोतले थी जो पानी की बोतल जैसी दिख रही थी. लेकिन उसमें जहरीली गैस भरी थी, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ.’

बाबा के वकील ने दावा किया, ‘हमारे पर ऐसे गवाह है जिन्होंने ये बोतलें देखी थी. गवाह ने बताया कि उसके परिजन भी वहां मौजूद थी. उन्होंने समझा कि ये पानी की बोतल है लेकिन उससे कुछ निकल रहा था. तीन लोगों ने इस बारे में बताया है. इसका असर इतना जहरीला था कि महिलाओं ने एक बार सांस गई तो दूसरी सांस नहीं ले पाई और गिर गई.’

लेकिन यूपी पुलिस का जो रवैया है, उसमें एपी सिंह को खुद से किसी नई थ्योरी की जरूरत शायद नहीं पड़ेगी, क्योंकि जब पुलिस ही बाबा को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है तो फिर एपी सिंह को आखिर बचाने की जरूरत ही क्या है?



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