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Hasdeo Forest Controversy Why Is There Opposition To The Deforestation Know Whole Story ANN


Hasdeo Forest Controversy: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बड़ी मुहिम चल रही है. क्योंकि कोयला खनन के लिए जंगल से पेड़ काटे जा रहे है. कांग्रेस ने दावा किया है कि 50 हजार पेड़ काटे जा चुके है. इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से फोन पर बात किया है. उन्होंने हसदेव में पेड़ कटाई पर जानकारी दी है और नए खदान खोलने पर रोक लगाने की मांग की है.इसपर सियासत पारा चढ़ गया है.

जंगल की कटाई के लिए सीएम विष्णु देव साय ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार
दरअसल उत्तर छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में कोयला खदान खोलने के लिए पिछले एक सप्ताह से हजारों पेड़ों की कटाई हुई है. लेकिन स्थानीय आदिवासी पेड़ो की कटाई का विरोध कर रहे है. ये विरोध अब बड़े स्तर में शुरू हो गया है. कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार को घेरने के लिए बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं दूसरी तरफ हसदेव में जंगल की कटाई के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हसदेव में जंगलों की कटाई का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की सरकार है. पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के आदेश पर ही हसदेव जंगल की कटाई की गई है.

कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के खिलाफ शुरू किया आंदोलन
लेकिन कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के बयान पर खंडन करते हुए कहा है कि 26 जुलाई 2022 को विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव अरण्य में सभी खदानों की अनुमतियों को निरस्त करने के लिए संकल्प पारित किया है. विधानसभा में सर्वसम्मति से हसदेव में नए खनन के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके बाद अब कांग्रेस ने मैदानी लड़ाई के लिए मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने रायपुर में मानव श्रृंखला बनाकर का विरोध किया. इसके बाद आज दोपहर कांग्रेस युवा मोर्चा की टीम रायपुर में बीजेपी सरकार की पुतला दहन की तैयारी में है.

सिंहदेव ने कहा नए खदानों में माइनिंग के विरोध में पूरा आदिवासी समाज
पूर्व डिप्टी सीएम टी एस ने हसदेव के आदिवासियों से मुलाकात कर दावा किया है कि जहां पुराने खदानों में उत्खनन के प्रति स्थानीय लोगों के मत विभाजित हैं, वहीं नए खदानों में माइनिंग के विरोध में पूरा आदिवासी समाज एकमत है.इसकी जानकारी देते हुए सिंहदेव ने सीएम विष्णु देव साय से मोबाइल से बात कर उन्हें हसदेव अरण्य से जुड़े विरोध प्रदर्शन की ज़मीनी स्थिति की जानकारी दी है. 

पूर्व डिप्टी सीएम ने मुख्यमंत्री को फोन कर खनन पर रोक लगाने की मांग
टीएस सिंहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं सरगुजा अंचल के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र और समुदाय के हैं. उन्हें आदिवासी विचारधारा, संस्कृति, परंपराएं और मान्यताओं की पूरी जानकारी है. आदिवासी समुदाय के जल, जंगल, ज़मीन के प्रति प्यार, समर्पण, निष्ठा से वो पूर्ण रूप से परिचित हैं. सरगुजा के आदिवासी समाज के हित के लिए, उनकी इच्छानुसार, मुख्यमंत्री को और छत्तीसगढ़ सरकार को नए खदानों के खनन पर रोक लगानी चाहिए.

ये विनाश सिर्फ एक पूंजिपति की जिद के लिए है
हसदेव अरण्य में जब पेड़ों की कटाई शुरू हुई तो पुलिस जवानों की तैनाती की गई थी. इसके अलावा जो पर्यावरण प्रेमी है उनके नजरबंद किया गया था.इसी में से एक छत्तीसगढ़ बचाव संगठन के प्रमुख आलोक शुक्ला ने ट्विटर पर हसदेव को बचाने के लिए अभियान चला रहे है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि ये विनाश सिर्फ एक पूंजीपति की जिद के लिए है, जो हसदेव से ही कोयला निकालकर मुनाफा कमाना चाहता है. जो हसदेव असंख्य जीव, जंतुओं का घर है, हमारी सांसें जिससे चलती हैं, उसका ऐसा विनाश, प्रकृति कभी माफ नहीं करेगी.

3 जिलों में फैला हुआ है हसदेव अरण्य 
गौरतलब है कि हसदेव अरण्य उत्तर छत्तीसगढ़ के 3 जिलों में फैला हुआ है. इसमें कोरबा, सूरजपुर और सरगुजा जिला आता है. यहां भारत सरकार ने कोयला खदान का प्रस्ताव रखा है. लेकिन यहां रहने वाले आदिवासी जंगल की कटाई कई सालों से विरोध कर रहे है. राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन हो चुके है. विरोध की वजह ये भी है कि ये इलाका पांचवीं अनुसूची में आता है.

ऐसे में वहां खनन किया ग्राम सभा की मंजूरी जरूरी है. लेकिन आंदोलन कर रहे लोगों का दावा है कि मंजूरी नहीं दी गई है. वहीं ये पूरा इलाका हाथियों का बसेरा है, सैकड़ों हाथी इन्ही इलाकों में विचरण करते है तो आशंका ये भी है किअगर जंगल कट जाएंगे तो हाथी मानव द्वंद चरम पर हो सकता है. 

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