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Haryana Ex CM Manohar Lal Khattar reaction on Socio Economic Reservation banned by High Court | हरियाणा में समाजिक-आर्थिक आधार पर मिलने वाला आरक्षण रद्द, पूर्व CM खट्टर बोले


Haryana News: हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अतिरिक्त 5 अंक देने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार (31 मई) को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है. अब हाई कोर्ट के इस फैसले पर प्रदेश के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की प्रतिक्रिया सामने आई है.

पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर ट्वीट कर कहा कि “हम अंत्योदय के संकल्प को लेकर चले थें और इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमज़ोर वर्ग को अतिरिक्त 5 अंक दिए जाने की योजना बनाई गई थी, जिसे हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है.”

उन्होंने आगो कहा कि “कानून की अपनी प्रक्रिया और मर्यादाएं हैं पर अन्त्योदय के इस संकल्प को पूरा करने की यह लड़ाई जारी रहेगी. मैं हरियाणा परिवार के अपने उन सभी गरीब, कमजोर और विधवा माताओं-बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि जिन्हें इस योजना का लाभ मिला था, उन्हें न्याय दिलाने के लिए हम हमेशा उनके साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे.”

सीएम ने क्या कहा?
वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी एक्स पर ट्वीट कर कहा कि “समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतरिक्त 5 नंबर देने कि एक महत्वकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी. जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया गया. हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी परक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. गरीबों, कमज़ोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लडाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी.”

क्या है योजना?
दरअसल, हाई कोर्ट में सरकार के सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के विरोध में दाखिल याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है. हरियाणा सरकार की ओर से इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो, तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त नंबर का लाभ देने का प्रावधान किया गया था.

वहीं हाई कोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी. अब याचिका के निपटारे के बाद प्रदेश में हजारों रुकी नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है.

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