Harda Blast Incidence Know SC Guideline and Rules For Fire Cracker Factory how many such incidence happened in last 5 years
Harda Blast: मध्य प्रदेश के हरदा में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए सिलसिलेवार धमाकों ने शहर को दहला दिया. हादसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया. 174 घायलों को हरदा के जिला अस्पताल रेफर किया गया जिसमें 34 लोगों की हालत बेहद गंभीर बताई गई. इन्हें भोपाल रेफर किया गया है. मामले में फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
फायर ब्रिगेड की 40 से ज्यादा गाड़ियां आग बुझाने में लगी हैं. अब तक आग पूरी तरह बुझी नहीं है. सीएम मोहन यादव आज बुधवार को हादसे वाली जगह पहुंचेंगे. हादसे की जांच के आदेश सरकार दे चुकी है. मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख और घायलों को 2-2 लाख का मुआवजा देने का ऐलान हुआ है.
हरदा में बम बारूद की बौछार
लापरवाही की चिंगारी उठी और पूरा गांव जल गया. पटाखे फटते रहे. घर जलते रहे. चीख पुकार और हाहाकार मचता रहा. जान बचाने की जुगत में कोई इधर भागा तो कोई उधर. इस भागम भाग में कई अभागे बेमौत मारे गए. हरदा में धमाके रूके नहीं, थमें नहीं. ऐसा लगा कि जंग छिड़ी है. ऐसा लगा जैसे आसमान से बम बारूद की बौछार हो गई.
कानून को ताक पर रखकर चल रही थी फैक्ट्री
धमाकों की आवाज हरदा से 40 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. ब्लास्ट के वक्त अवैध पटाखा फैक्ट्री में 15 टन विस्फोटक रखा था. ब्लास्ट से 800 मीटर तक पत्थर उछले. रेंज ज्यादा थी इसलिए बड़ा नुकसान हुआ. बैरागढ़ गांव में 10 साल से अवैध पटाखा फैक्ट्री चल रही थी. हादसे के वक्त फैक्ट्री में 300 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे. धमाके की जद में आकर करीब 25 बाइक और 15 गाडियां डैमेज हुईं.
ये हालत तब है जब सुप्रीम कोर्ट की पटाखों को लेकर सख्त गाइडलाइन हैं? पहला बड़ा सवाल भारत में अवैध बारूद वाले कब्रिस्तान पर लगाम कब कसेगी? मौत के अवैध बारूद चैंबर का लाइसेंस कौन देता है? सवाल ये भी है कि क्या देश अवैध बारूद के ढेर पर बैठा है. ऐसे हादसे क्यों होते हैं और इन्हें रोकने के लिए नियम क्या हैं?
अवैध पटाखा बनाने पर देश में कानून
अवैध पटाखा बनाने पर देश में कानून कड़ा है. Explosives Act 1884 की धारा 9B के मुताबिक अवैध पटाखा फैक्ट्री चलाने पर 3 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. दोनों भी हो सकते हैं.
पटाखा फैक्ट्री के लिए क्या हैं नियम?
पटाखा फैक्ट्री के लिए कम से कम 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए. तभी लाइसेंस मिलता है. पटाखा फैक्ट्री के आस पास कोई रिहायशी इलाका नहीं होना चाहिए. फायर डिपार्टमेंट और संबंधित थाने से NOC के बाद ही फैक्ट्री संचालित होती है.
कब-कब हुए बड़े हादसे?
नियमों की अनदेखी की वजह से देश में कब कब कितने बड़े हादसे हुए और कितने लोगों की जान गई. 2022 के दौरान 60 पटाखा फैक्ट्री में आग लगी. 66 लोगों की जान गई. 2021 में 64 हादसे हुए, इनमें 96 लोगों की मौत हुई. 2020 में 9 हादसों में 13 लोग मारे गए. 2019 में 33 लोगों की जान गई. 2018 में 71 लोगों मारे गए. यानि पिछले पांच सालों में कुल 211 हादसों में दो सौ उन्यासी लोगों की जान जा चुकी है.
मजदूरों को न ट्रेनिंग और न सिक्योरिटी
पटाखा निर्माण में तमिलनाडु देश में पहले नंबर पर है. यहीं से 80 परसेंट पटाखे देश-विदेश में सप्लाई होते हैं. एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि पटाखा फैक्ट्री में काम करने वाले 92 फीसद मजदूरों को पटाखा बनाने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती. जबकि 97 परसेंट मजदूरों को सिक्योरिटी किट,जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलती. ये हाल तब है जब भारत पटाखा मार्केट से 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई करता है.