Hacienda Projects Private Limited, Allahabad HC Orders ED Investigation – हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोर्ट्स को झटका, इलाहाबाद HC ने ED जांच के दिए आदेश
इलाहाबाद:
इलाहाबाद हाईकोर्ट से नोएडा स्थित मेसर्स हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) के प्रमोर्ट्स को तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्रमोर्ट्स के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर प्रमोर्ट्स जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो ईडी उनके खिलाफ कानूनों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है. कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को भी निर्देश दिया है कि वह महीने भर के भीतर फ्लैट खरीददारों के पक्ष में पंजीकृत विलेख निष्पादित कराए.
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यह आदेश जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने चार प्रमोर्ट्स – याचियों निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज और लोट्स 300 अपार्टमेंट एसोसिएशन व अन्य की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उन्हें निस्तारित करते हुए दिया है.
कोर्ट ने कहा कि प्रमोर्ट्स यह दावा नहीं कर सकते कि वे अब कंपनी के अधिकारी नहीं हैं. उनका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है और कंपनी की देनदारी केवल कंपनी से ही वसूल की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि प्रमोर्ट्स ने कंपनी का पैसा निकालकर उसे दूसरी कंपनियों में निवेश कर ठिकाने लगा दिया. इसके बाद इस्तीफा देकर कंपनी को दिवालिएपन में ढकेल दिया. कोर्ट ने कहा कि उनका इस्तीफा सिर्फ दिखावा था. वास्तविकता में वह फ्लैट खरीददारों, बैंको, नोएडा अथॉरिटी को धोखा देना था और बकाया भुगतान से बचने के लिए किया गया था. कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी का उत्कृष्ट मामला बताया.
कोर्ट ने कहा कि प्रमोर्ट्स बिना किसी निवेश के फ्लैट खरीददारों से 636 करोड़ रूपये एकत्र किए. बाद में उसमें से 190 करोड़ निकालकर अपने ही द्वारा बनाई हुई दूसरी कंपनी में निवेश कर दिया. इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी द्वारा आवंटित भूमि के एक ही हिस्से को कई-कई फ्लैट खरीददारों को बेचा और उससे कुल 236 करोड़ रूपये एकत्र किए. इस तरह से उन्होंने सैकड़ों खरीददारों को धोखा दिया. इसके बाद कंपनी के मुख्य पदों से इस्तीफा दे दिया और अपने से नीचे कर्मचारियों को प्रमुख पदों पर बैठाकर दिवालिएपन में ढकेलकर देनदारियों से भी छुटकारा पा लिया. राज्य के अधिकारी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
मामले में प्रमोर्ट्स को 2010 में नोएडा अथॉरिटी से सेक्टर 107 में GH01 भूमि आवंटन हुई थी. आवंटित भूमि पर उन्हें फ्लैट बनाकर खरीदारों को देना थाय. प्रमोर्ट्स ने फ्लैट बनाने से पहले ही खरीददारों से कीमत वसूल ली थी. जिन्हें फ्लैट मिले भी वे भी आधे-अधूरे मिले. खरीददारों ने याचियों के खिलाफ संबंधित थाने में धोखधड़ी का मामला दर्ज कराया और नोएडा अथॉरिटी के समक्ष शिकायत कर अपने पैसे की वापसी और अपनी करोड़ों की बकाया राशि के भुगतान की मांग कीय प्रमोर्ट्स ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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