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Guest Teacher Policy Himachal protest against Guest Teacher Policy by CM Sukhvinder Singh Sukhu ANN


Guest Teacher Policy Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बीते गुरुवार को बैठक हुई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गेस्ट टीचर पॉलिसी को मंजूरी दी गई. इस पॉलिसी को मंजूरी मिलते ही युवाओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं लाइब्रेरी से बाहर निकलकर विरोध के लिए उतर आए. छात्र राजनीति में सक्रिय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी इसका विरोध किया.

इसके बाद कांग्रेस के ही छात्र संगठन एनएसयूआई ने भी गेस्ट पॉलिसी को गलत करार दिया और इसे अग्निवीर की तरह ही शिक्षकवीर जैसा बता दिया. गेस्ट टीचर पॉलिसी के विरोध में हिमाचल प्रदेश शिक्षित बेरोजगार संघ ने तो 19 दिसंबर को धर्मशाला में विधानसभा घेराव की भी चेतावनी दी है.

‘युवाओं के लिए नहीं, रिटायर्ड टीचर्स के लिए है पॉलिसी’

गेस्ट टीचर पॉलिसी को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान सामने आया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह कोई रोजगार नहीं है. इस पॉलिसी को युवाओं के लिए नहीं लाया गया है. यह पॉलिसी रिटायर्ड टीचर्स के लिए है. उदाहरण के लिए अगर कोई अंग्रेजी का टीचर छुट्टी पर जाता है, तो छुट्टी के दौरान बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए रिटायर्ड टीचर को गेस्ट लेक्चर के आधार पर क्लास के लिए बुलाया जाएगा. इसके लिए संबंधित स्कूल के प्रिंसिपल को अधिकृत किया गया है. उन्होंने कहा कि यह युवाओं का के रोजगार के लिए नहीं है. ऐसे में युवाओं को अस्थाई रोजगार के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.

प्रति घंटा आधार पर लेंगे अध्यापकों की सेवाएं

शुक्रवार को जिला शिमला के दूरदराज इलाके कुपवी में मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “प्रदेश सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी. शिक्षा का आधारभूत ढांचा सुदृढ़ किया जाएगा. स्कूलों में अध्यापकों की कमी होने पर प्रति घंटा के आधार पर अध्यापकों की सेवाएं ली जाएगी, जब तक कि स्कूल में नियमित अध्यापक तैनात नहीं किए जाते. इसके लिए प्रधानाचार्यों को अधिकृत किया जाएगा. हम व्यवस्था परिवर्तन से कार्य कर रहे हैं, क्योंकि बदलाव प्रकृति का नियम है. बदलाव यदि जनहित हो, तो वह सर्वोपरि होता है. प्रदेश सरकार द्वेष की भावना से नहीं, बल्कि जनसेवा की भावना से कार्य कर रही है”.

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