G20 Summit What Is EU Middle East India Rail And Port Deal Why Will It Be Historic.
G20 Summit India: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जी-20 के साझेदार एक शिपिंग कॉरिडोर की योजना पर काम शुरू करने को लेकर प्लान बना रह हैं. यह भारत को मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) और आखिर में यूरोप से जोड़ेगा. यह कदम वैश्विक व्यापार के लिए गेम चेंजर हो सकता है, जिसकी घोषणी जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान की जा सकती है.
इंडो-पैसिफिक पॉलिसी के वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी ने शुक्रवार (8 सितंबर) को करीब एक घंटे बातचीत की और उनकी चर्चा में इंफ्रास्ट्रक्चर और कम्युनिकेशंस से संबंधित एक बड़ी खोज शामिल थी, जो भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ेगी. इसकी घोषणा शनिवार (9 सितंबर) को हो सकती है.
हो सकती है बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह डील की घोषणा
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया को जोड़ने वाली बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह डील की घोषणा शनिवार को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर की जाएगी.
अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देश यूरोप और भारत के बीच ट्रेड फ्लो बढ़ाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.
क्या है रेल और पोर्ट्स डील?
जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने पत्रकारों से कहा कि इस डील से क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को फायदा होगा और वैश्विक कॉमर्स में मध्य पूर्व की अहम भूमिका हो सकेगी.
यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है क्योंकि G20 साझेदारों में शामिल विकासशील देशों के लिए वाशिंगटन को एक वैकल्पिक साझेदार और निवेशक के रूप में पेश करके अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बैश्विक बुनियादी ढांचे को लेकर चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करना चाहते हैं.
क्या है डील का उद्देश्य?
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि डील का उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और ट्रे़ड फ्लो (व्यापार प्रवाह) में मदद मिलेगी.
फाइनर ने कहा कि अमेरिका की नजर से यह समझौता पूरे क्षेत्र में तापमान कम करेगा और जहां हम देखते हैं, टकराव से निपटने में मदद मिलेगी. रेल एंड शिपिंग कॉरिडोर देशों को उर्जा उत्पादों समेत ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएगा.
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जब प्लान की डिटेल सामने आएगी तो उस समय यूरोपीय संघ के नेताओं को यह बोलते हुए देखने की उम्मीद की जा सकती है कि ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा’ ऐतिहासिक से कम नहीं है.
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