G20 Summit In India Bali Was Bali This Is Delhi Says S Jaishankar On Russia References In New Delhi Leaders Declaration – बाली-बाली था, दिल्ली-दिल्ली है..: यूक्रेन युद्ध को लेकर घोषणापत्र की तुलना पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर
नई दिल्ली:
भारत की अध्यक्षता में दिल्ली के ‘भारत मंडपम’ में हुए G20 समिट (G20 Summit in India)में दिल्ली घोषणापत्र को 100 फीसदी आम सहमति से पास करा लिया गया. समिट के पहले ही दिन घोषणापत्र को पारित करा लेने को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत कही जा रही है. साझा घोषणापत्र (Delhi Declaration) पर सभी देशों की सहमति इसलिए खास है, क्योंकि नवंबर 2022 में इंडोनेशिया समिट (बाली समिट) में जारी घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War)को लेकर सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी. तब रूस और चीन ने अपने आप को युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था. अब बाली समिट और नई दिल्ली घोषणापत्र को लेक हो रही तुलना पर विदेशमंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने जवाब दिया है.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बाली घोषणापत्र और जी-20 नेताओं के नई दिल्ली घोषणापत्र के बीच किसी भी तरह की तुलना को शनिवार को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “जब बाली घोषणापत्र को अपनाया गया था, तब स्थिति अलग थी. बाली घोषणापत्र से तुलना के संबंध में मैं केवल इतना कह सकता हूं कि बाली बाली था. नई दिल्ली नई दिल्ली है.” उन्होंने कहा, “बाली एक साल पहले था और तब स्थिति अलग थी. उसके बाद से कई चीजें हुई हैं.”
विदेश मंत्री ने कहा, “नई दिल्ली का घोषणापत्र स्थिति और चिंताओं का जवाब देता है. जैसा कि आज है जैसा कि बाली घोषणापत्र ने एक साल पहले की स्थिति में किया था.” जयशंकर ने कहा, ‘चीन जी-20 शिखर सम्मेलन के विभिन्न परिणामों का बहुत समर्थन करता है. यह हर देश को तय करना है कि उनका प्रतिनिधित्व किस स्तर पर किया जाएगा. मुझे नहीं लगता कि किसी को इसके बहुत अर्थ लगाना चाहिए.”
विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण यह है कि उस देश ने क्या रुख अपनाया है. और उस देश ने विचार-विमर्श और परिणामों में कितना योगदान दिया है. मैं कहूंगा कि चीन विभिन्न परिणामों का बहुत समर्थन करता है.”
स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशन के लिए यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के को-ऑर्डिनेटर जॉन किर्बी ने कहा था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण शिखर सम्मेलन संयुक्त घोषणापत्र के बिना खत्म हो सकता है. लेकिन इस घोषणापत्र पर चीन ने भी सहमति दी.
साझा घोषणापत्र के लिए चीन का समर्थन ऐसे समय में आया है, जब भारत ने उसके नए “स्टैंडर्ड मैप” पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसमें चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाया है.
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