News

Four years after Delhi riots situation in Northeast Delhi Also reactions from Hindu Muslim communities


2020 Delhi Riots: उत्तर पूर्वी दिल्ली में चांद बाग से सटे मूंगा नगर में 14 फरवरी को मोहित कुमार के विवाह का समारोह था और इसमें आसपास रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने न सिर्फ अच्छी संख्या में शिरकत की, बल्कि कामकाज में हाथ भी बंटाया. इसी तरह से जाफराबाद में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ फहीम बेग का 15 फरवरी को जन्मदिन था और उनके ही मुताबिक ‘जिंदगी में पहली बार उनका जन्मदिन मनाया गया.’ उन्होंने कहा, खास बात यह थी कि इसकी सारी व्यवस्था उनके हिंदू मित्रों ने की.

जाफराबाद और चांद बाग के बीच करीब चार किलोमीटर की दूरी है और ये दोनों इलाके उत्तर पूर्वी दिल्ली में पड़ते हैं, जहां चार साल पहले भीषण दंगों के बाद दोनों समुदायों के बीच अविश्वास की खाई बन गई थी. दोनों घटनाएं बताती हैं कि यह खाई अब आहिस्ता-आहिस्ता पट रही है और दोनों समुदायों के बीच दिलों की दूरी भी कम हो रही है.

यहां के निवासी बताते हैं कि दंगों के बाद दोनों समुदायों के लोगों ने एक दूसरे के मोहल्लों और गलियों से आना-जाना बंद कर दिया था, लेकिन अब लोग न सिर्फ एक दूसरे के मोहल्ले में काम कर रहे हैं, बल्कि सुख-दुख में भी शरीक हो रहे हैं.

आरडब्ल्यूए के संयोजक ये बोले

यमुनापार आरडब्ल्यूए के संयोजक और क्षेत्र के सबोली इलाके में रहने वाले जगदीश चौहान ने कहा, “यह बात सही है कि दंगों के बाद दोनों समुदाय के लोगों ने एक दूसरे के मोहल्ले और गलियों से आना-जाना बंद कर दिया था क्योंकि दोनों में डर था, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है. लोग अब बिना किसी डर के एक-दूसरे के इलाकों से आते जाते हैं. बाजारों में भी दोनों समुदायों की दुकानें और रेहड़ी पटरियां लग रही हैं.”

कैसे भड़के थे दंगे?

दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्से में 23 फरवरी 2020 को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच मौजपुर इलाके में झड़प हुई थी. इसके अगले दिन 24 फरवरी 2020 को इन झड़पों ने सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया था और हिंसा का तांडव 26 फरवरी 2020 की शाम तक चला था.

हिंसा में एक पुलिस कर्मी समेत 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इसके अलावा दंगाइयों ने बड़े पैमाने पर घरों, दुकानों और गाड़ियों को आग लगा दी थी और लूटपाट की थी. इसके बाद बड़ी तादाद में सुरक्षा कर्मियों को तैनात करके हालात पर काबू पाया गया था.

मोहित की शादी में मुस्लिम पड़ोसियों ने बंटाया हाथ

मिश्रित आबादी के क्षेत्र में रहने वाले मोहित कुमार ने बताया कि 14 फरवरी को उनकी शादी में आसपास रहने वाले लोगों ने शिरकत की जिनमें मुस्लिम भी शामिल थे. उनके मुताबिक, उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने न सिर्फ शादी समारोह में भाग लिया, बल्कि उनके कामकाज में हाथ भी बंटाया.

मोहित की शादी में शिरकत करने वाले नाजिम अली कहते हैं, “मैं उनके पिता की शादी में भी शामिल हुआ था और मोहित के विवाह में भी शामिल हुआ हूं. मैं और मोहित के पिता बचपन के दोस्त हैं. दंगों के बाद दिलों में कड़वाहट जैसा कुछ नहीं है और दोनों समुदाय के लोगों का एक दूसरे के यहां आना जाना है.”

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. फहीम बेग ये बोले

हिंसा के दौरान पुलिस की सक्रिय रूप से मदद करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. फहीम बेग का कहना था कि अब हालात पहले जैसे हैं और पूरे जिले में अमन है और लोगों में आपस में मोहब्बत भी है. डॉ. बेग ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरी तरह से शांति से हुआ, जो इस बात को साबित करता है कि लोगों में आपस में मोहब्बत है.

हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे के उत्सवों पर देते हैं योगदान- मौलाना दाऊद अमीनी

पुलिस की भाईचारा समिति के सदस्य और जाफराबाद स्थित मस्जिद और मदरसा बाबुल उलूम के इमाम मौलाना दाऊद अमीनी उस समय को याद करते हुए कहते हैं कि फरवरी 2020 में बहुत मुश्किल वक्त था, हालात बहुत खराब थे, दोनों समुदाय को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और दोनों समुदायों के लोगों में एक दूसरे से डर था.

उन्होंने कहा कि लोग एक-दूसरे के मोहल्लों से नहीं निकलते थे, एक दूसरे की गलियों में जाने और एक-दूसरे के मोहल्ले में काम करने से कतराते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है और लोग आपस में मिलजुल कर रह रहे हैं और पहले जहां काम करते थे, वहां काम भी कर रहे हैं.

मौलाना अमीनी ने कहा, “हिंदू मुस्लिम एक दूसरे के त्योहारों और उत्सवों पर योगदान भी देते हैं. जैसे कावड़ यात्रा में मुसलमान सहायता करते हैं और ऐसे ही जुमे की नमाज़, अलविदा और ईद पर हमारे गैर मुस्लिम भाई सहयोग करते हैं.”

दंगों के बाद माहौल सुधारने के लिए हुई कोशिशों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “इलाके में कई सद्भावना सम्मेलन हुए हैं, जिनमें दोनों समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने शिरकत की है. दोनों समुदाय के लोगों की यही कोशिश है कि अब फिर से फरवरी 2020 की घटनाएं न हों.”

दंगों के बाद पैदा हुई अविश्वास की खाई अब हो गई खत्म- पंडित कृष्ण कौशिक

विजय पार्क इलाके में देव मंदिर के पंडित कृष्ण कौशिक ने कहा कि दंगों के बाद जिस तरह का माहौल था, अब वैसा नहीं है. दोनों समुदायों में दंगों के बाद पैदा हुई अविश्वास की खाई अब खत्म हो गई है और दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे से दिल खोलकर मिल रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “हाल में राम उत्सव भी दोनों समुदायों ने मिलकर मनाया था और साथ में पटाखे छोड़े थे.” मीडिया की खबरों में दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया गया है कि सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े मामलों में दोनों समुदायों के 2600 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से तकरीबन 2100 आरोपी जमानत पर हैं जबकि लगभग 170 अब भी जेल में हैं.

पुलिस ने कुल 758 प्राथमिकियां दर्ज की थीं. वरिष्ठ वकील महमूद प्राचा ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने यह तो बताया है कि उसने कितने लोगों को गिरफ्तार किया है और कितनी प्राथमिकियां दर्ज की हैं, मगर पुलिस ने आज तक यह जानकारी नहीं दी कि उसने किस समुदाय से कितने लोगों को गिरफ्तार किया है.

यह भी पढ़ें- भाई फैजल ने तरेरी आंखें तो बहन मुमताज बोलीं- मैं पक्की कांग्रेसी, अहमद पटेल थे संकटमोचन, उनका परिवार कैसे दे रहा कांग्रेस को टेंशन



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *