News

Five Reasons Why Gujarat High Court Refuses To Stay Sentence Of Rahul Gandhi In Defamation Case


Rahul Gandhi Case: ‘मोदी सरनेम’ वाले मानहानि मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका शुक्रवार (7 जुलाई) को खारिज कर दी. चलिए आपको बताते हैं वो पांच कारण जिनके आधार पर कोर्ट ने कांग्रेस नेता को राहत देने से इनकार कर दिया. 

सार्वजनिक चरित्र का एक गंभीर अपराध 

कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 (मानहानि) के तहत अपराध को बड़े सार्वजनिक चरित्र वाला एक गंभीर अपराध माना जा सकता है. ऐसे मामले बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित करते हैं. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. समाज को बदनाम किया गया है.

समाज के सम्मान से जुड़ा है मामला 

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कथित मानहानि एक बड़े पहचाने जाने योग्य वर्ग (मोदी उपनाम वाले लोग) की थी, न कि केवल एक व्यक्ति की. कोर्ट ने माना कि दोषसिद्धि जनता के एक बड़े वर्ग और परिभाषा के अनुसार, समाज को प्रभावित करने वाले अपराध के चरित्र का हिस्सा है. यह केवल एक व्यक्ति-केंद्रित मानहानि का मामला नहीं है. 

गांधी का बयान बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है

इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनकी बड़ी उपस्थिति है और वह भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति हैं. गांधी की सार्वजनिक प्रतिष्ठा के कारण, उनका कोई भी बयान बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करता है. वर्तमान सजा एक बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाले गंभीर मामले को लेकर है, इसलिए सजा पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.  

दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है 

कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी गैर-मौजूद आधारों पर अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे. दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि एक अपवाद है जिसका दुर्लभ मामलों में सहारा लिया जाना चाहिए. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी की सजा पर रोक नहीं लगती है तो इससे कोई अन्याय नहीं होगा. 

राहुल गांधी के खिलाफ 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग

कोर्ट ने आगे बताया कि राहुल गांधी के खिलाफ दस आपराधिक मामले पहले से पेंडिंग हैं. जन प्रतिनिधियों को साफ चरित्र का रहना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि गांधी के खिलाफ और भी शिकायतें दर्ज की गईं. इनमें से एक शिकायत कैम्ब्रिज में सावरकर के खिलाफ गांधी की कथित टिप्पणी के लिए विनायक दामोदर के पोते ने दायर की थी. इन परिस्थितियों को देखते हुए उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.

ये भी पढ़ें: UCC Issue: ‘यूसीसी लागू करना आर्टिकल-370 हटाने जितना आसान नहीं’, गुलाम नबी आजाद ने दी मोदी सरकार को ये चेतावनी



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *