Finance Minister Nirmala Sitharaman Full Interview With NDTV Editor-in-Chief Sanjay Pugalia – हमारा फोकस पापुलिज्म नहीं, एंपावरमेंट…: पढ़ें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पूरा Exclusive इंटरव्यू
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में मोदी सरकार 2.0 का अंतरिम बजट पेश किया. इस दौरान उन्होंने पिछले 10 साल के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए देश के लिए अगले कई सालों के विजन और योजनाओं का भी जिक्र किया. अंतरिम बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री ने सबसे पहले एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ इस खास इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन तमाम सवालों का जवाब दिया, जो देश और आम लोगों से सीधा ताल्लुक रखता है.
सवाल- इस बजट में कोई बड़ी या लोकलुभावन घोषणा नहीं की गई है, जबकि चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में सरकार इतनी विश्वास के साथ कैसे है?
जवाब- हमें विश्वास इसलिए है, क्योंकि पिछले 10 साल में एक के बाद एक कई लोक कल्याण की योजनाएं घोषित की गईं, और ये ना सिर्फ घोषणा भर थी बल्कि उसको जमीन पर लाने के लिए पूरी मेहनत भी की गई. लोगों को इससे लाभ भी मिला. लोगों को इससे विश्वास मिला कि मोदी सरकार जो कहती है वो करती है. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जहां भी कार्यक्रम होता है, लोग वहां आते हैं और पूरे मन से ये स्वीकार करते हैं कि हमें योजनाओं का पूरा लाभ मिला है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जनता के इसी विश्वास से हमें भी विश्वास मिलता है. जनता का आशीर्वाद लगातार हमें दो बार मिला है और आगे फिर मिलेगा.
सवाल- चुनाव को लेकर सभी सरकारों के मन में थोड़े शंका के भाव होते हैं और वो कुछ लोकलुभावन घोषणाएं कर देते हैं, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया क्यों?
जवाब- अगस्त-सितंबर से ही हम बजट को लेकर योजनाएं बना रहे हैं, हम इसके लिए राय लेते हैं. हमने प्रधानमंत्री से भी इस बारे में बात की, तो उन्होंने कहा कि ये तो अंतरिम बजट है. चुनाव के बाद जब नई सरकार में जुलाई में फिर से बजट पेश होगा तो उस वक्त पूरी चर्चा कर और सभी से राय लेकर हम बजट तैयार करेंगे. हालांकि अंतरिम बजट में हमारे दस साल के कार्यकाल में योजनाओं को लेकर कितनी राशि खर्च हुई, लोगों को इससे कितना फायदा हुआ और हम विकास की राह पर कितनी तेज गति से चल रहे हैं, एक तरह से अंतरिम बजट में इसका लेखा-जोखा होना चाहिए. इस बजट में आय और खर्च को लेकर पूरा विवरण हो, जो जनता के समझ में आए, कि उन्हें क्या मिला और उनके लिए आगे क्या आने की संभावना है, ऐसा प्रधानमंत्री जी ने हमें मार्गदर्शन दिया.
सवाल- चुनाव के वक्त लोगों को उम्मीद तो रहती ही है कि सरकार कुछ लोकलुभावन घोषणाएं जरूर करेगी, आपके पास मौका भी था फिर भी आपने नहीं किया ऐसा क्यों?
जवाब- सरकार की योजनाएं जिस तरह से घोषणा होने के बाद धरातल पर लोगों के बीच पहुंची, इससे जनता के मन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को लेकर विश्वास बना और हम भी इससे वाकिफ हुए कि जनता एक बार फिर से इस भरोसे को कायम रखने के मूड में है. इसको समझते हुए ही हमने हल्के लोकलुभावन घोषणाएं नहीं की.
सवाल- सरकार ने कमाई और खर्च के बीच में सही तरह से समन्वय बनाकर रखा. सरकार सब्सिडी के चक्कर में नहीं रही. ऐसे में महंगाई को लेकर ये सरकार किस तरह से नियंत्रण कर पायी?
जवाब- सिर्फ बड़े पैमाने पर सब्सिडी देना ही जनता को लाभ देने का तरीका नहीं है. जैसे कोविड काल में और उसके बाद के सालों में अगर किसानों की बात करें तो यूरिया के दाम काफी बढ़े, लेकिन हमने इसका बोझ किसानों पर नहीं आने दिया. सरकार ने खुद इसका वहन किया. तो हम इन बातों का भी खयाल रखते हैं. हमारी सरकार सिर्फ प्रचार में नहीं सशक्तिकरण में विश्वास रखती है. जब योजनाएं बनती हैं तो इसका ध्यान रखा जाता है कि लोगों तक जो जरूरी सेवाएं हैं, वो पहुंचे और उसके बाद का वो अपने परिवार के लिए खुद फैसला ले सकें, ये नहीं कि वो पूरी तरह सरकार पर निर्भर हो जाएं. हमारा विश्वास लोगों को इंपावर करने में है.
सवाल- जरूरतमंदों की मदद अच्छी बात है, वो करनी चाहिए, लेकिन ग्रोथ के लिए रोजगार सृजित करने में क्या इसका प्रभाव विकास की रफ्तार पर भी पड़ेगा?
जवाब- सोशल वेलफेयर को किसी गरीब परिवार तक पहुंचाने में हम मदद करते रहेंगे. जैसे स्वास्थ्य के लिए और अच्छी बुनियादी शिक्षा के लिए उन्हें अपनी बजत में से खर्च नहीं करनी पड़े. इसके लिए सरकार खर्च करती रहेगी. लेकिन जब हम अन्य बड़ी योजनाएं लेकर आते हैं को कैबिनेट में पास कराने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले ये पूछते हैं कि जो पैसे हम खर्च कर रहे हैं उससे कितने रोजगार सृजित होंगे. रोजगार का मतलब सिर्फ किसी दफ्तर में जाकर काम करना ही नहीं है. अगर आप खुद भी बिजनेस चलाने में सक्षम हैं तो सरकार उनकी मदद करती है. वो इससे खुद के लिए तो रोजगार सृजित करते ही हैं, अपने साथ वो अन्य लोगों को भी रोजगार देते हैं. ये भी गिनती में आना चाहिए.
सवाल- आपका कहना है कि रोजगार करने वाले, रोजगार देने वाले और उपभोक्ता का एक नया चक्र शुरू हो रहा है?
जवाब- कोविड के बाद रिकवरी में एक से दो साल लगे उसके बाद देश लगातार ग्रोथ कर रहा है जो ठहराव के साथ है. ये बस छोटी-छोटी भागीदारियों की वजह से ही हो रहा है.
सवाल- सबको इंतजार था कि चूंकि पिछले साल कैपेक्स 30-35 प्रतिशत बढ़ा था, तो इस साल ज्यादा बढ़ेगा. सरकारी डेटा बताता है कि अगर इंफ्रास्ट्रक्टर में एक रुपया लगाओ तो जीडीपी में 3 रुपया एड होता है, जबकि डीबीटी से 90 पैसे जुड़ते हैं. तो ऐसा लग रहा था कि इसमें सरकार अग्रेसिव टारगेट रखेगी, लेकिन शायद आपने इसे जुलाई के लिए रोक रखा है?
जवाब- जुलाई में हम इस पर सोचेंगे, लेकिन साथ ही मैं ये बताना चाहती हूं कि कैपिटल एक्सपेंडेटर के लिए एलोकेशन में कोई कटौती नहीं हुई है. आपने लो बेस से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी, ऐसे में आपको ये लगता है कि 11 प्रतिशत की बढोतरी ज्यादा नहीं है, लेकिन वो हाइयर बेस से हो रही है. आपको लगता है कि ये छोटा है, लेकिन हम 11 लाख करोड़ तक पहुंचे हैं.
सवाल- सरकार ने देश में ऐसा सकारात्मक माहौल बनाया है, जिसकी वजह से अब बड़ी मात्रा में प्राइवेट कैपिटल आ सकती है. लेकिन खासकर के इंफ्रास्ट्रक्टर के सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर बातें तो बहुत कर रहा है, लेकिन जो मूड होता है इनवेस्ट करने का, उसमें थोड़ा सा गैप है. ऐसे क्या कारण हैं जो आपको भरोसा दिलाते हैं कि प्राइवेट सेक्टर इसमें अपनी भागीदारी और बढ़ाएगा?
जवाब- जब आप इंफ्रास्ट्रक्टर पर पैसे खर्च करते हैं, जैसे केंद्र राज्य सरकारों को 50 साल के लिए बिना किसी ब्याज पर ऐसे कामों के लिए पैसे देती है. राज्य सरकार के स्तर पर भी इस सुविधा के कारण कई योजनाएं धरातल पर आ रही हैं. वैसे ही प्राइवेट सेक्टर जैसे सभी सोचते हैं कि कोई बड़ा ब्रिज बनाने के लिए या इंफ्रास्ट्रक्टर के कोई बड़े काम के लिए ही ऐसी बड़ी प्राइवेट कंपनियां आएंगी, ऐसा नहीं है अब उसमें इस्तेमाल होने वाले इक्यूपमेंट और मशीनरी में मदद के लिए भी प्राइवेट कंपनियां इनवेस्ट कर रही हैं.
सवाल- पीपीपी की जो ड्राफ्टिंग है, वो एक प्राब्लम एरिया रहा है, उसमें व्यापक बदलवा करने पड़ेंगे, वहां थोड़ा एग्रेसिव होने पड़ेगा?
जवाब- हां इसको लेकर सुझाव ले रही हूं, ये चीजें पहचान में आई है. हां इसको लेकर काम बाकी है.
सवाल- प्राइवेटाइजेशन एक बड़ा मौका है, आप लोगों ने इसके लिए एनर्जी क्रिएट कर दी है, देश भी तैयार है, ऐसे में सरकार अपनी वैल्यू के हिसाब से मांग कर सकती है. इस बजट में इसको लेकर कोई इशारा क्यों नहीं दिया गया है या इसको आप जरूरी नहीं मानती हैं?
जवाब- सरकार ने 2021 में ही पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज पॉलिसी लेकर आयी है. इसलिए विनिवेश को लेकर हमारी नीति स्पष्ट है, उससे हम पीछे हटने वाले नहीं हैं. लेकिन विनिवेश की बात करते समय हम ये भी बात ध्यान में रखते हैं कि उन कंपनियों की वैल्यू भी देखी जाती है. जैसे एलआईसी का आईपीओ घोषणा करने के समय उसकी कई खामियों को दूर किया गया. क्योंकि फिर वैल्यूएशन में कई तरह की दिक्कतें आती, जो अब सुधार के बाद काफी अच्छा कर रहा है.
सवाल- इनोवेशन फंड को कोई कैसे अवेल कर पाएगा और कौन इसको एडमिनिस्टर करेगा, ये स्कीम कैसे वर्क करेगी? क्योंकि आरएनडी एक बहुत बड़ा एरिया है और हम इसमें लेट हैं.
जवाब- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन दो साल पहले बजट में, वो तब भी नया नहीं था. इस देश में साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लिए फंडिग बहुत पुराना है, लेकिन ये काफी बिखरा हुआ था. जिसे हमने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के जरिए समेटा. अभी जैसे हम 50 साल के लिए बिना ब्याज के लोन दे रहे हैं. उसे किसी संस्थान में फंड करते हैं, जो कुछ अच्छा इनोवेशन कर रही है. सरकार ऐसे संस्थानों के लिए बिल्कुल तैयार है.
सवाल- सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों का भी जिक्र किया है, तो ऐसे में पीएलआई और इनोवेशन मिलाकर वहां ऐसा क्या नया होने जा रहा है?
जवाब- लुक इस्ट का मतलब सिर्फ नार्थ इस्ट नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहले से ही केंद्र सरकार नार्थ इस्ट के लिए बहुत कुछ कर रही है, जो जारी रहेगा. इसके अलावा बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ जहां मैन पावर अच्छा है. बिहार के लोग तो सभी हिस्सों में जाकर पूरा देश चलाते हैं. तो वहां के विकास पर भी हम और ध्यान देना चाहते हैं. ये राज्य देश के विकास में एक पावरफुल इंजन की तरह काम करेंगे.
सवाल- आपने कल बजट भाषण में माइनिंग, एनर्जी, पोर्ट, रोड और रेलवे के कॉरिडोर का जिक्र किया था, इसको लेकर हम क्या उम्मीद करें?
जवाब- प्रधानमंत्री जब विकसित भारत 2047 कहते हैं तो इसका मतलब आम जनता के लिए स्किल, इप्लायमेंट, उनके लिए इज ऑफ लिविंग अच्छा करने की बात करते हैं. तो इसके लिए हर तरफ निर्माण जरूरी है. निर्माण के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है. वो एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए अच्छी सड़क और रेल सुविधा होनी चाहिए. लोगों के आवागमन के लिए अच्छे इंतजाम होने चाहिए. जैसे दीवाली के समय में दिल्ली से पटना जाने के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उसे भी बेहतर क्यों नहीं किया जाए. आत्मनिर्भर भारत के तहत हम रेलवे में भी नई ट्रेन और अच्छी सुविधाओं के साथ इसे बेहतर कर रहे हैं.
सवाल- लखपति दीदी योजना को लेकर कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
जवाब- जब से लखपति दीदी योजना आयी है, तभी से ही गांवों तक में महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उनके मन में ये भाव आ रहे हैं कि मैं लखपति दीदी क्यों नहीं बन सकती हूं. उनका कहना है कि बताओ क्या योजना है, बैंक से थोड़ी मदद मिल जाए तो मैं भी ये कर सकती हूं, तो महिला सशक्तीकरण के लिए एक और रास्ते खुल रहे हैं. इसके साथ ही जैसे नमो ड्रोन है, जिसके लिए महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है, वो विज्ञान के साथ भी जुड़ रही हैं. ड्रोन के जरिए खेतों में फर्टिलाइजेशन के साथ ही लैंड मैपिंग का काम भी होता है. तो इन रास्तों के जरिए महिला को और सशक्त किया जा रहा है.