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Samyukt Kisan Morcha Protest: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार (23 फरवरी) को काला दिवस मनाया. साथ ही राज्य की सीमा पर दो जगह डेरा डाले प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के पुतले फूंके. हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच हिंसा में मारे गये किसान शुभकरण सिंह के प्रति शोक व्यक्त करने के लिए एसकेएम ने काला दिवस मनाने का आह्वान किया था.

बीजेपी नेताओं के पुतले फूंके

भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने शुक्रवार को कहा कि उसने शुभकरण सिंह की मौत के विरोध में पंजाब के 17 जिलों में 47 स्थानों पर प्रदर्शन किया. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-एकता उगराहां), एसकेएम का हिस्सा है. बीकेयू (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के पुतले फूंके.

अमृतसर में किसानों ने मुख्य प्रवेश बिंदु न्यू गोल्डन गेट पर बीजेपी नीत केंद्र सरकार का पुतला फूंका. एसकेएम नेता रतन सिंह रंधावा ने कहा कि सीमा पर स्थित डोएकी, महिमा, पंडोरी, मोधे और रातोकी सहित विभिन्न गांवों में विरोध प्रदर्शन किया गया. एसकेएम और व्यापार संघों के सदस्यों ने संयुक्त रूप से लुधियाना में लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया.

खनौरी बॉर्डर पर किसान नेताओं ने कहा, “आज हमलोग के लिए गमगीन माहौल है. हमारे एक व्यक्ति की जान गई है. हमने फैसला लिया है कि 24 फरवरी को कैंडल मार्च निकालेंगे. 26 फरवरी को पुतले जलाएंगे और 29 फरवरी को ऐलान करेंगे आगे क्या करना है.”

मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की

प्रदर्शनकारियों ने मंत्रियों के इस्तीफे और शुभकरण सिंह की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की. ठीक इसी तरह का प्रदर्शन होशियारपुर जिले में भी हुआ, जहां किसानों ने केंद्र और हरियाणा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने सरकार से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने सहित प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें मानने की मांग की.

भारतीय किसान यूनियन की कोर कमेटी की बैठक के बारे में बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “कुछ किसानों ने जल्दबाजी में विरोध शुरू कर दिया और यह बहुत अव्यवस्थित था. इसलिए, हमने कोर कमेटी की बैठक में एसकेएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) दोनों समूहों से एक आम समिति बनाने का अनुरोध करने का निर्णय लिया है और फिर उस समिति के तहत विरोध को आगे बढ़ाया है, इससे सरकार पर असर पड़ेगा और लोगों का मनोबल बढ़ेगा.

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