News

extradition Tahawwur Rana small player 26/11 coming India the big one was saved America said former Home Secretary


26/11 मुंबई हमले का आरोपी ताहव्वुर राणा जल्द ही भारत की कैद में होगा. इस बीच पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लई ने एक इंटरव्यू में कहा कि राणा की भूमिका इस आतंकवादी हमले में बहुत छोटी थी. असली मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली है, जिसे अमेरिका ने अपनी सुरक्षा के तहत बचा लिया था. 

पिल्लई ने हाल ही में द हिन्दू से बातचीत में कहा कि राणा का काम बहुत सीमित था. उसने हेडली को भारत में आने के लिए कानूनी मदद दी थी, जैसे मुंबई में इमिग्रेशन कार्यालय स्थापित करना और हेडली को नौकरी पर रखना. लेकिन वह सीधे तौर पर हमले में शामिल नहीं था. 

अमेरिका ने किया था हेडली का बचाव

पिल्लई ने बताया कि मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने हेडली का प्रत्यर्पण कराने की काफी कोशिश की थी लेकिन उस वक्त अमेरिका ने उसे भारत के हाथों नहीं सौंपा. भले ही उनके पास हेडली के खिलाफ ठोस सबूत थे. उन्होंने बताया कि साल 2009 में हेडली की गिरफ्तारी के बाद अमेरिका ने उसे भारत को प्रत्यर्पित करने की बजाय, माफी देने का प्रस्ताव रखा. 

पिल्लई ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर भारत को पहले ही यह जानकारी मिल जाती कि हेडली पाकिस्तान का एजेंट था, तो उसे बार-बार भारत आते वक्त निगरानी में रखा जाता. लेकिन हेडली ने अमेरिकी पासपोर्ट पर यात्रा की थी और उसकी पहचान भी अमेरिकी नागरिक जैसी थी जिससे हमारी खुफिया एजेंसियों को संदेह नहीं हुआ.

हेडली के अमेरिका-पाकिस्तान संबंध और राणा की भूमिका

पूर्व गृह सचिव ने यह भी बताया कि हेडली पाकिस्तानी परिवार से था, लेकिन उसकी अमेरिकी नागरिकता ने उसे भारत में आसानी से घुसने का रास्ता दिया. राणा की भूमिका मुख्य रूप से हेडली को भारत में लाने और उसकी मदद करने तक सीमित थी, जबकि असली साजिश रचने वाला हेडली था.

पिल्लई ने यह भी कहा कि हेडली को भारत आने से रोकना अमेरिका के लिए बुरा उदाहरण था. उस वक्त उन्होंने भारतीय हितों की बजाय अपने हितों को प्राथमिकता दी और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने से बचने की कोशिश की.

भारत में न्याय की उम्मीद

अब जब राणा भारत आ रहा है, पिल्लई का मानना है कि जो सबूत अब तक मिले हैं, उसके आधार पर राणा को सजा दिलाना संभव है. वे उम्मीद जताते हैं कि जब एनआईए चार्जशीट दाखिल करेगी, तब इस मामले में और भी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएगी.

2008 में हुए मुंबई हमले ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था. उस हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी. अब जब राणा भारत आ रहा है, तो यह कदम उस दर्दनाक घटना के जिम्मेदारों को सजा दिलाने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.

अमेरिका का ‘आतंकवाद’ से दोहरा रवैया

पिल्लई ने अंत में यह भी कहा कि अमेरिका का रवैया आतंकवाद के मामलों में अक्सर संदिग्ध होता है. उन्होंने कहा कि, ‘अमेरिका सिर्फ अपने हितों का ध्यान रखता है, दूसरों का नहीं.’ इस परिप्रेक्ष्य में, राणा का प्रत्यर्पण भले ही भारत के लिए राहत की बात हो, लेकिन असली जिम्मेदारी उस देश पर भी बनती है जिसने हेडली को बचाने में मदद की.



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *