Sports

Explainer: अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे का ऐलान, मास्टरस्ट्रोक या पॉलिटिकल रिस्क?



नई दिल्ली:

एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में रविवार को अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि वे अगले दो दिनों के भीतर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली की रद्द हो चुकी शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में जमानत दिए जाने के दो दिन बाद केजरीवाल ने यह घोषणा की. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने छह महीने बाद जेल से रिहा होने के बाद पहली बड़ी सभा को संबोधित करते हुए यह घोषणा की. केजरीवाल की यह घोषणा क्या दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले राजधानी की जनता की सहानुभूति बटोरने की रणनीति है? क्या उनका यह कदम उन्हें खुद को जनता के सामने बेदाग साबित करने में कारगर होगा? केजरीवाल ने यह कदम उठाकर राजनीति का मास्टरस्ट्रोक लगाया है, या एक बहुत बड़ा जोखिम मोल ले लिया है?     

जनता की अदालत में न्याय चाहिए : अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि उन्हें कानून की अदालत में न्याय मिला है, लेकिन अब वे जनता की अदालत में न्याय चाहते हैं. उन्होंने कहा, “दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा. जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती, मैं उस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. दिल्ली में चुनाव होने में अभी कई महीने बाकी हैं. मुझे कानूनी अदालत से न्याय मिला, अब मुझे जनता की अदालत से न्याय मिलेगा. मैं जनता के आदेश के बाद ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा.” उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली की जनता से पूछना चाहता हूं कि केजरीवाल निर्दोष है या दोषी? अगर मैंने काम किया है, तो मुझे वोट दें.”

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों से अपील की कि अगर उन पर केस दर्ज किए जाते हैं तो वे जेल से इस्तीफा न दें. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि, “वे गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों के खिलाफ झूठे केस दर्ज करते हैं. अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे इस्तीफा न दें बल्कि जेल से सरकार चलाएं.” 

Latest and Breaking News on NDTV

केजरीवाल ने कहा कि, उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि वे लोकतंत्र के लिए लड़ना चाहते थे. उन्होंने कहा, “मैंने (गिरफ्तारी के बाद) इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि मैं लोकतंत्र का सम्मान करता हूं और मेरे लिए संविधान सर्वोच्च है.”

आम आदमी पार्टी के विधायक चुनेंगे नया मुख्यमंत्री 

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के लिए अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए अगले दो दिनों के भीतर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 60 विधायकों की बैठक होगी. इसके बाद वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. ‘आप’ नेता ने दिल्ली में पहले चुनाव कराने की भी मांग की. दिल्ली में चुनाव फरवरी में होने हैं. केजरीवाल ने मांग की कि दिल्ली के चुनाव नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव के साथ ही कराए जाएं.

उन्होंने कहा, “फरवरी में चुनाव होने हैं. मैं मांग करता हूं कि नवंबर में महाराष्ट्र चुनाव के साथ ही चुनाव कराए जाएं… चुनाव होने तक पार्टी से कोई और मुख्यमंत्री होगा. अगले 2-3 दिनों में विधायकों की बैठक होगी, जिसमें अगले मुख्यमंत्री पर फैसला किया जाएगा.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे लोगों के बीच जाएंगे और उनका समर्थन मांगेंगे. उन्होंने कहा, “मैं हर घर और गली में जाऊंगा और जब तक लोगों से फैसला नहीं मिल जाता, तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा.”

इससे संकेत मिलता है कि आम आदमी पार्टी ने राजधानी में चुनाव से पहले लोगों से जुड़ने के लिए बड़े पैमाने पर संपर्क अभियान की योजना बनाई है. केजरीवाल के अलावा, उनके पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, जो कि शराब नीति केस में जमानत पर हैं, इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

समय पूर्व चुनाव की मांग में कितना फायदा, कितना खतरा?  

केजरीवाल की इस चौंकाने वाली घोषणा से आम आदमी पार्टी को चुनावी लाभ मिल सकता है. केजरीवाल ने नैतिकता जाहिर करने वाला रुख अपनाया है और कहा है कि उन्हें सत्ता की कोई लालसा नहीं है. वे राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर लौटने से पहले जनता का फैसला चाहते हैं.

हालांकि, बीजेपी ने केजरीवाल की घोषणा को “नाटक” करार दिया है और कहा है कि जब भी दिल्ली में चुनाव होंगे, बीजेपी जीतेगी.

बीजेपी के नेता हरीश खुराना ने एनडीटीवी से कहा, “48 घंटे बाद क्यों? उन्हें आज ही इस्तीफा दे देना चाहिए. दिल्ली के लोग पूछ रहे हैं, वे सचिवालय नहीं जा सकते, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते? फिर क्या मतलब है?” यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी समय से पहले चुनाव के लिए तैयार है, खुराना ने जवाब दिया, “हम तैयार हैं, चाहे आज हो या कल. हम 25 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटेंगे.”

केजरीवाल का यह आश्चर्यजनक कदम उल्टा भी पड़ सकता है. उन्होंने साफ संकेत दिया है और मनीष सिसोदिया ने भी कहा है कि वे तभी पद पर लौटेंगे जब जनता उनके पक्ष में फैसला सुनाएगी. इसका मतलब है कि ‘आप’ के दो शीर्ष नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं और पार्टी को चुनाव तक अपने अन्य प्रमुख चेहरों में से किसी एक को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनना होगा. कुछ महीनों के लिए मुख्यमंत्री चुनने से अक्सर सत्ता को लेकर संघर्ष होने लगता है और बड़े पैमाने पर नेताओं के बाहर निकलने के हालात भी बन जाते हैं. उदाहरण के लिए, बिहार के नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के लिए सीट खाली की थी लेकिन बाद में काफी सियासती उठापटक हुई थी. इसी तरह झारखंड के हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद चंपई सोरेन के दिया, लेकिन बाद में हेमंत सोरेन की वापसी के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा में रस्साकशी हुई. चंपई बागी हो गए.

Latest and Breaking News on NDTV

इसके अलावा, समय से पहले चुनाव की मांग करना दोधारी तलवार है. पिछले कुछ महीनों से, आम आदमी पार्टी कानूनी परेशानियों में उलझी हुई है. पार्टी के शीर्ष नेता जेल में हैं. इस बीच, विपक्ष दिल्ली में जलभराव जैसे नागरिक मुद्दों पर लगातार दिल्ली सरकार को निशाना बना रहा है. ऐसे समय में नवंबर में चुनाव की मांग की गई है, कम समय में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के पास चुनाव की तैयारी के लिए बहुत कम समय बचा है.

यह भी पढ़ें-

हम सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता हासिल करने नहीं आए थे…अरविंद केजरीवाल की कही 10 बड़ी बातें

आतिशी, सुनीता या सौरभ… केजरीवाल के ऐलान के बाद कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री?




Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *