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Exclusive: ‘ईरान से डील करना आता है…’ – अब क्या करेगा इजरायल? राजदूत ने बताया | Exclusive: ‘We know how to deal with Iran…’




नई दिल्ली:

Iran-Israel conflict: इजरायल के राजदूत ने कहा कि, ”ईरान का इजरायल पर हमला सिर्फ मिसाइलों की बौछार नहीं थी, यह 181 बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार थी, जिनमें से प्रत्येक में 700 से 1,000 किलोग्राम का वारहेड पेलोड था, जो कि पूरी बिल्डिंगों को नष्ट कर सकता है. यह हमारे युद्ध के इतिहास में अभूतपूर्व है.” भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार (Reuven Azar) ने बुधवार को एनडीटीवी से बातचीत में यह बात कही.  

रूवेन अजार ने कहा कि, ”इजरायल को ईरान से डील करना आता है. खतरा अभी भी है, लेकिन हम खुद की सुरक्षा करना आता हैं. कई आतंकी संगठन हमें कमजोर समझते हैं. हम अपने दुश्मनों का बहुत नुकसान करने में सक्षम हैं. हम हमारे लोगों की रक्षा के लिए कुछ भी करने के लिए सक्षम हैं.” 

उन्होंने कहा कि, ”इजरायल तनाव नहीं बढ़ाना चाहता था. हम युद्ध को गाजा पट्टी पर ही रोकना चाहते थे. हिज्बुल्लाह ने हमारी औरतों और बच्चों के साथ गलत किया. हमने 11 महीने तक शांति की कोशिश की. हिज्बुल्लाह को हमारे बॉर्डर एरिया से हटना होगा. उसने हटने से साफ मना कर दिया है. हिज्बुल्लाह को लगा कि इजरायल कमजोर है.” 

अजार ने कहा कि, ”हमने कभी नहीं कहा कि ईरान को खत्म करना चाहते हैं. ईरान ने कई बार तबाही का ऐलान किया है. ईरान ने कई आतंकी संगठनों को फंडिंग की है. ईरान ने अब तक हम पर दो बार हमला किया है. ईरान को हमें कुछ भी सिखाने का कोई भी हक नहीं है. हमारे पास दुनिया का सबसे अच्छा डिफेंस सिस्टम है. ईरान की क्षमताओं के बारे में काफी शोध कर रहे हैं. इजरायल ईरान के इरादों से वाकिफ है. ईरान फसाद बनाने की कोशिश कर रहा है.”

उन्होंने कहा कि, ”हमारा विश्वास हमारे लोगों से आता है. इजरायल के लोग हमें मजबूत बनाते हैं. वे एक-दूसरे की मदद करते हैं. यह युद्ध इजरायल पर थोपा गया. बंधकों की रिहाई के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. ईरान के फैसले का विश्लेषण करना मेरे लिए मुश्किल है.”

एनडीटीवी से विशेष बातचीत में राजदूत अजार ने इजरायल के खिलाफ ईरान के हमले को “एक बहुत गंभीर स्थिति” बताया. उन्होंने कहा कि, “सौभाग्य से हमारे पास दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइल रक्षा प्रणाली है, इसलिए अधिकांश मिसाइलों को रोक दिया गया और कोई बड़ी क्षति नहीं हुई. इजरायल में केवल वही मिसाइलें गिरीं जो खुले क्षेत्रों में लक्षित थीं, जो आमतौर पर संरक्षित नहीं होते.”

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उन्होंने आगे कहा कि “यह पहली बार नहीं है, ईरान ने इजराइल को नष्ट करने की बार-बार कोशिश की है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि इजरायल ईरान के लोगों के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह “ईरान के कट्टरपंथी शासन” के खिलाफ है. अजार ने कहा कि, “ईरानी शासन पिछले 30 सालों से विभिन्न आतंकवादी समूहों को फंडिंग कर रहा है. वे अपने लोगों से पैसा लेते हैं और उससे चरमपंथियों को फंडिंग करते हैं. इजरायल अपनी रक्षा करेगा और ईरानी शासन को सफल नहीं होने देगा.”

नुकसान और जवाबी कार्रवाई

इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) का हवाला देते हुए राजदूत ने कहा कि “सौभाग्य से इजरायल में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन दुर्भाग्य से ईरानी मिसाइल हमले से गाजा में एक फिलिस्तीनी नागरिक की दुखद मौत हो गई. ईरान की मिसाइल ने एक फिलिस्तीनी को मार डाला.”

संभावित जवाबी हमले का ब्यौरा न देते हुए अजार ने कहा, “हमारे सामने एक चुनौती है, क्योंकि इस तरह के कट्टरपंथी लोगों को रोका नहीं जा सकता. हमने यह बार-बार देखा है. जब हमास ने हम पर आतंकी हमला किया या जब नसरल्लाह ने 11 महीने तक इजरायल पर हमला करने का फैसला किया, तो उन्होंने अपने लोगों की भी परवाह नहीं की, उनकी जान को खतरे में डाल दिया. हमें इन चरमपंथियों पर कड़ा प्रहार करना होगा.”

राजदूत ने आगे स्पष्ट किया कि इजरायल ईरान के लोगों के खिलाफ नहीं है, और न ही वह अन्य देशों में शासन करना चाहता है. उन्होंने कहा, “इजरायल केवल अपनी रक्षा करता है.” उन्होंने कहा कि “हम अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं, न कि अन्य देशों में राजनीतिक वास्तविकताओं को बदलने के लिए.”

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उन्होंने कहा कि “हमने अतीत में देखा है कि कैसे ईरानी लोगों ने कट्टरपंथी शासन के खिलाफ विद्रोह किया है. बदलाव बाहर से नहीं आएगा, अगर ऐसा होगा तो वह अंदर से ही होगा. जहां तक ​​इजरायल का सवाल है, हम केवल अपने लोगों की सुरक्षा के स्तर तक ही जुड़ेंगे.”

अजार ने कहा कि, “इजरायल और ईरान के लोगों के बीच हजारों सालों से दोस्ताना संबंध रहे हैं. ईरान इजरायल का दुश्मन नहीं है. फारसी लोगों का एक समृद्ध इतिहास है, एक प्राचीन सभ्यता है, जिसका इजरायल के लोगों के साथ अद्भुत जुड़ाव हुआ करता था.”

राजदूत ने कहा कि, “हम चाहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमारे खतरों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके. ऐसी स्थिति हो कि हमारे लोग उत्तरी इजरायल में अपने घरों को लौट सकें. हम ऐसी स्थिति चाहते हैं कि जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 और 1559 को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके. इजरायल लेबनान में एक कब्जा करने वाली ताकत नहीं बनना चाहता है, न ही इजरायल लेबनान के राजनीतिक भविष्य पर फैसला करना चाहता है.” 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव से निराशा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के बारे में रूवेन अजार ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बहुत अच्छा काम कर रहा है, लेकिन “दुर्भाग्य से संयुक्त राष्ट्र के भीतर कुछ गुट हैं जो पक्षपातपूर्ण हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र में एक धांधली वाली व्यवस्था है, जिसमें अधिकांश देश संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में हेरफेर कर सकते हैं. जैसे कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव हैं जो मिसाइलों के इस भयानक हमले की निंदा नहीं कर रहे हैं. यह बहुत चिंताजनक है.” उन्होंने कहा कि, “संयुक्त राष्ट्र को तटस्थ और निष्पक्ष होना चाहिए.”

क्या भारत शांति लाने में भूमिका निभा सकता है? 

जब अजार से पूछा गया कि क्या भारत शांति लाने में कूटनीतिक भूमिका निभा सकता है, तो उन्होंने कहा, “यह भारत को तय करना है. कूटनीति हमेशा काम कर सकती है. हमने 7 अक्टूबर के हमले के बाद शुरू में कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से मुद्दों को हल करने की कोशिश की, लेकिन यह काम नहीं आया. कभी-कभी जब चरमपंथी शासन होते हैं, तो खुद का बचाव करने के लिए, प्रभावी होने के लिए उनसे सख्ती से निपटना पड़ता है.”

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उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण प्लेयर और इजरायल का दोस्त है. नई दिल्ली निश्चित रूप से मिडिल-ईस्ट को “स्थिरता के गलियारा – जो एशिया और यूरोप को जोड़ता है” के रूप में फिर से बनाने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि भारत इजरायल का साझेदार है.

अरब देशों के साथ संबंध

इजरायली राजदूत ने बताया कि पश्चिम एशिया में लगभग एक साल से जारी संकट और खुद को सुरक्षित रखने के इजरायल के प्रयासों के बीच एक भी अरब देश ने इजरायल के साथ संबंध नहीं तोड़े हैं.” उन्होंने कहा, “वास्तव में इस साल के दौरान इजरायल पूरे मध्य-पूर्व में अपने सुरक्षा सहयोग और खुफिया सहयोग का निर्माण कर रहा है. इससे क्या पता चलता है… कि जब यह संघर्ष समाप्त हो जाएगा, तो यह सभी देश जो एक शांतिपूर्ण और प्रगतिशील मध्य पूर्व के निर्माण में रुचि रखते हैं, इसे हासिल करने के लिए मिलकर काम करेंगे. यह दर्शाता है कि उग्रवाद, कट्टरता के खिलाफ एक विकल्प है.”

राजदूत ने स्पष्ट किया कि “हमास अब इजरायल के लिए खतरा नहीं है, हिजबुल्लाह को गंभीर झटका लगा है और ईरान को अब अपने किए की कीमत चुकानी पड़ेगी.”

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