Exclusive: हम शर्मिंदा हैं, उनके कातिल अभी भी जिंदा हैं…पहलगाम आतंकी हमले पर शेहला राशिद का दर्द

जम्मू-कश्मीर:
पहलगाम आतंकी हमले पर शेहला राशिद का दर्द सामने आया है. NDTV से एक्सक्लूजिव बातचीत में उन्होंने कहा कि कश्मीर में इस वक्त मातम का माहौल है. मारे गए लोग मेहमान थे. कश्मीर अपनी मेजवानी के लिए जाना जाता है. मेहमानों के साथ पहलगाम में जो कुछ हुआ वह गलत है. शेहला ने कहा कि परेशान टूरिस्ट अगर उनके सामने आ जाएं तो शायद वह उनकी आंखों में आंखें डालकर देखने की हिम्मत नहीं कर पाएंगी.
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यहां पर शर्मिंदगी का माहौल
शेहला ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी कहा है कि ये वक्त सियासत का नहीं है. हम सभी अपने मेहमानों से माफी मांगते हैं. दूसरे नेता भी यही कह रहे हैं. क्यों कि कुल मिलार यहां शर्मिंदगी का माहौल है. शेहला ने कहा कि उन्होंने आज तक इस तरह के हालात नहीं देखे जब एक आतंकी हमले के खिलाफ पूरा कश्मीर बंद हो गया हो.
आतंकी हमले के खिलाफ आज पूरा कश्मीर बंद
शेहला का कहना है कि कई बार ये जरूर हुआ है कि कश्मीर में बंद आतंकियों के सपोर्ट में बुलाया गया. कई बार वन राइट वॉयलेशन पर बात हुई. लेकिन आतंकी हमले के खिलाफ आज पूरा कश्मीर बंद है. किसी एक गली में जाकर देखिए वहां की छोटी-छोटी दुकानें तक नहीं खुली हैं. यहां पर बहुत दुख का माहौल है. पहलगाम में एंजॉय कर रहे निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया गया. एक दुल्हन के तो हाथों की महंदी भी नहीं छूटी थी. उसके दुख को वह बयान तक नहीं कर सकती. आतंकी हमले में उसने अपने पति को खो दिया.
आतंकी हमला शर्मनाक
शेहला ने कहा कि पहलगाम में जो भी हुआ वह बहुत ही शर्मनाक है. इससे सभी शॉक में हैं. इस तरह का हादसा हो सकता है, ये कभी सोचा नहीं था. जब कोई टूरिस्ट पहलगाम से किसी घोड़े वाले या किसी अन्य सवारी के साथ बाइसरन जाता है तो उस वक्त वह पूरी तरह से उस पर डिपेंडेंट होता है. वही शख्स ही पर्यटक का लोकल गार्डियन होता है.
आतंकी अच्छी तरह जानते थे…
शेहला ने कहा कि एक कश्मीरी के तौर पर हम किने शर्मिंदा हैं, ये आप समझ सकते हैं. बारिश और बादल फटने के बाद उस ट्रेल पर चलना बिल्कुल भी आसान नहीं है. हमला करने वाले आतंकी ये अच्छी तरह से जानते थे कि वहां से निकलना आसान नहीं है. वहां नेटवर्क भी मुश्किल से ही आता है. इस तरह से इनफोर्मेशन में देरी हुई होगी.
पर्यटकों को छिपने के लिए जगह नहीं मिली होगी
शेहला ने कहा कि जह आतंकी हमला हुआ तो वहां भगदड़ जैसे हालात हो गए होंगे, क्यों कि वहां पर एक छोटा सा गेट है. खुला मैदान होने की वजह से बारिश में भी वहां सिर छिपाने तक की जगह नहीं होती है. आतंकी हमले के समय पर्यटकों को वहां पर छिपने के लिए जगह तक नहीं मिली होगी. तेजी से भागने में भी वहां समय लगता है. बिना स्थानीय लोगों के सपोर्ट के वहां से निकलन पाना संभव ही नहीं है. शेहला ने कहा कि हम शर्मिंदा हैं, उनके कातिल अभी भी जिंदा हैं. शेहला ने कहा कि इस्लाम में कहीं नहीं लिखा कि निहत्थों और बच्चों पर हमला किया जाए. उन्होंने ऐसा कहीं नहीं पढ़ा.