''EVM को बदनाम करने का एक और प्रयास'' : चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अहम हलफनामा दाखिल किया है. चुनाव आयोग ने इसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का बचाव किया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि, “2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ईवीएम को बदनाम करने का एक और प्रयास किया जा रहा. यह कोशिश बार- बार होती रहेगी.”
आगामी राज्य चुनावों में सभी EVM में VVPAT से गिनती करने की याचिका पर यह हलफनामा दाखिल किया गया है. चुनाव आयोग ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में वकील अमित शर्मा के माध्यम से हलफनामा दाखिल किया है.
चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि, यह याचिका अस्पष्ट और आधारहीन आधारों पर है. साथ ही ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का अनुमान है कि ईवीएम/वीवीपीएटी प्रणाली पर संदेह जताने वाली वर्तमान याचिका 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ऐसी आखिरी याचिका नहीं होगी.
मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं
हलफनामे में कहा गया है कि, मतदाता को वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि उनका वोट डाला गया है और दर्ज के रूप में गिना गया है. चुनाव नियमों के संचालन के प्रावधान किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं. ये कई बार न्यायिक जांच से गुजर चुके हैं, इसकी संवैधानिकता को बार-बार बरकरार रखा गया है.
सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाया कि, इस मुद्दे को कितनी बार उठाया जाएगा, हर 7-8 मामले में मुद्दा फिर से आ जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जरूरत से ज्यादा संदेह जता रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नवंबर में करेगा. याचिकाकर्ता को केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने को कहा गया है.
ईवीएम का मुद्दा कितनी बार उठाया जाएगा?
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह मुद्दा कितनी बार उठाया जाएगा? यह अदालत पहले ही जांच एक प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर चुकी है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि, सरकार ने स्वीकार किया है कि ईवीएम में त्रुटियां थीं. जस्टिस खन्ना ने कहा, उन्होंने कहा है कि मानवीय त्रुटियां थीं.
हर साल इस तरह की याचिका सामने आती है. इससे पहले 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया था. चुनाव आयोग से जवाब मांगा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की कॉपी चुनाव आयोग के वकील को देने को कहा था.
हम कभी-कभी ज्यादा संदिग्ध नहीं हो जाते?
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा था, क्या हम कभी-कभी ज्यादा संदिग्ध नहीं हो जाते? आप भी जरूरत से ज्यादा संदिग्ध हो रहे हैं. होता यह है कि रजिस्टर में व्यक्ति का नाम होता है लेकिन वे ठीक से नहीं दबाते. जिन मतदान केंद्रों पर मशीनें रखी गई हैं उनकी संख्या एक नहीं बल्कि कई हैं. गिनती करते समय उन्हें जनशक्ति और अन्य चीजों को भी देखना होगा.
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा था, हम नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं लेकिन वे सिस्टम पर काम कर रहे हैं. एक याचिका पर उन्होंने कहा था कि वे पूरी प्रणाली पर काम कर रहे हैं.
ईवीएम, VVPAT और रजिस्टर का मिलान होना चाहिए
याचिकाकर्ता ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा था, तीन रिकॉर्ड हैं- ईवीएम, VVPAT और रजिस्टर, जिसमें लोगों को हस्ताक्षर करना होता है. सभी तीन का मिलान होना चाहिए. लेकिन, यह पाया गया है कि रजिस्टर और ईवीएम के बीच भारी विसंगति है. हजारों विसंगतियां होती हैं. यह विचार सही नहीं है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, लेकिन ऐसे तीन तरीके हैं जिनसे यह सही गिनती का संकेत नहीं देता है.