ED returned property worth Rs 274.60 crore to victims in Bank Loan Fraud Case On Delhi High Court order Ann
Bank Loan Fraud Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में 274.60 करोड़ रुपये की संपत्ति उचित दावेदार को लौटाने की प्रक्रिया पूरी की. यह मामला M/s PSL Limited से जुड़ा था, जिसके डायरेक्टर्स पर बैंक लोन में धोखाधड़ी और गबन का आरोप था.
बैंक ऑफ बड़ौदा, मुंबई ने M/s PSL Limited और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ CBI में शिकायत दर्ज कराई. कंपनी पर आरोप था कि उसने 274.60 करोड़ रुपये के लोन का दुरुपयोग किया. CBI (BS&FC, मुंबई) ने इस शिकायत पर FIR दर्ज की और जांच शुरू की.
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
जांच में पता चला कि लोन की रकम को गलत तरीके से ट्रांसफर किया गया, जिससे यह “Proceeds of Crime” (POC) यानी अपराध से अर्जित संपत्ति बन गई. ED ने 31 मार्च 2019 को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और 2 दिसंबर 2021 को 274.60 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर दी.
NCLT की लिक्विडेशन प्रक्रिया और हाई कोर्ट का आदेश
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), अहमदाबाद ने 11 सितंबर 2020 को कंपनी की लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू की और एक लिक्विडेटर नियुक्त किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 मार्च 2023 को आदेश दिया कि यह संपत्ति लिक्विडेट कर एक राष्ट्रीयकृत बैंक में FD के रूप में जमा की जाए.
ED ने जताई कोई आपत्ति नहीं, हाई कोर्ट का आदेश
ED ने 27 फरवरी 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट के सामने कोई आपत्ति नहीं जताई. ED ने स्पष्ट किया कि PMLA का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को उनका हक दिलाना है. हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पूरी रकम और उस पर मिलने वाला ब्याज उचित दावेदार को लौटाया जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट का ये फैसला आर्थिक अपराधों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई है, जिसमें पीड़ितों को उनका हक दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं. ED और CBI की इस कार्रवाई से यह साफ होता है कि कोई भी हो बैंक लोन में धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.