ED filed chargesheet against Sonia Gandhi and Rahul Gandhi in National Herald case hearing on Delhi Rouse Avenue Court ann
National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चार्जशीट दायर कर दी है. अब इस मामले पर 25 अप्रैल को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत यह तय करेगी कि जांच एजेंसी ने जो चार्जशीट दायर की है उस पर संज्ञान लेना है या नहीं लेना है.
ईडी द्वारा चार्जशीट में दिए गए तथ्यों को देखते हुए कोर्ट तय करेगी कि क्या इस मामले को आगे बढ़ाना है या फिर चार्जशीट में ऐसे सबूत नहीं है जिसके आधार पर मुकदमे को आगे बढ़ाया जा सके. ईडी ने इस मामले में अब तक की गई जांच और जुटाये गए सबूतों का जिक्र किया है. ऐसे में 25 तारीख को होने वाली सुनवाई के दौरान अदालत के सामने शुरुआती तौर पर वह तमाम सबूत होंगे जिसके आधार पर जांच एजेंसी ने यह चार्जशीट दायर की है और सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया है.
25 अप्रैल को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण
25 अप्रैल को होने वाली सुनवाई इस वजह से महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर अदालत जांच एजेंसी द्वारा दायर की गई चार्जशीट पर संज्ञान लेती है तो इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को आरोपी के तौर पर समन जारी करेगी. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई के दौरान तमाम आरोपियों को अदालत में पेश होकर जमानत लेनी होगी.
अदालत में पेश होने के बाद जब आरोपी जमानत की मांग करेंगे तो अदालत तय करेगी की क्या सबूत तथ्यों को देखते हुए आरोपियों को जमानत दी जा सकती है या नहीं. अगर जांच एजेंसी आशंका जाहिर करती है कि तमाम आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं या सबूत मिटाने का काम कर सकते हैं तो ऐसे में वह अदालत में जमानत याचिका का विरोध भी कर सकती है. ऐसे में अदालत तय करेगी कि आरोपियों को जमानत देनी है या नहीं. अगर अदालत जमानत नहीं देती है तो सोनिया गांधी राहुल गांधी समेत तमाम आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी.
अदालत में ED रखेगी अपना पक्ष
अगर अदालत सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को जमानत दे देती है तो इस मामले में मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ेगी. मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ने के बाद अदालत चार्जशीट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया करेगी. अदालत में आरोप तय करने को लेकर बहस चलेगी और कोर्ट देखेगी की सुनवाई के दौरान शुरूआती तौर पर जो सबूत और तथ्य सामने आए हैं क्या उसके आधार पर तमाम आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया जा सकते हैं या नहीं.
अगर अदालत आरोप नहीं तय करती है तो वहां पर आरोपियों को राहत मिल सकती है, लेकिन अगर अदालत पाती है कि तमाम आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में आरोप तय किया जा सकते हैं तो उसके बाद मुकदमे की सुनवाई फिर एक बार आगे बढ़ेगी. तमाम सबूत तथ्य और गवाह कोर्ट के सामने पेश किए जाएंगे और फिर उन तमाम सबूत गवाह तथ्यों को देखकर कोर्ट तय करेगी कि क्या आरोपियों को दोषी कर देना है या बरी करना है.
ये भी पढ़ें: