ED action on cyber fraud case files supplementary chargesheet in 303 crore money laundering case ann
Cyber Fraud Case: ईडी ने साइबर ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े बड़े घोटाले में 28 मार्च 2025 को राउज एवेन्यू कोर्ट में सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल की है. इस केस में अब तक 303 करोड़ रुपये के फर्जी लेनदेन का खुलासा हो चुका है. जांच एजेंसी ने पहले इसी मामले में 25 जनवरी 2025 को चार्जशीट दायर की थी, जिस पर 10 फरवरी 2025 को कोर्ट ने संज्ञान लिया था. अब इस केस की जांच करते हुए ईडी ने सबूतों और गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल की है, जिस पर अदालत ने 2 अप्रैल 2025 को संज्ञान ले लिया.
ईडी ने इस मामले में 28 नवंबर 2024 को राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र और तेलंगाना में 13 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में डिजिटल एविडेंस बैंक अकाउंट डिटेल्स, क्रिप्टो वॉलेट्स, कैश और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए. इसके बाद मामले की जांच और तेज की गई, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर फ्रॉड से जुड़े कई अहम खुलासे हुए.
ईडी ने इन 8 आरोपियों को किया है गिरफ्तार
- CA अजय – मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी अकाउंट्स के संचालन में शामिल
- CA विपिन यादव – साइबर ठगी से जुड़े लेन-देन की प्लानिंग में शामिल
- क्रिप्टो ट्रेडर जितेंद्र कसवान – फर्जी धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने का मास्टरमाइंड
- क्रिप्टो ट्रेडर अल्लाड़ी राजासाई – दुबई से क्रिप्टो एक्सचेंज और मनी ट्रांसफर का संचालन
- राकेश करवा – साइबर ठगी नेटवर्क से जुड़ा महत्वपूर्ण सदस्य
- छोटू सिंह गुर्जर – ठगी के पैसे को इधर-उधर करने और कैश मनी लॉन्ड्रिंग में मददगार
- मोहित सिंह – फर्जी बैंक अकाउंट्स और ट्रांजेक्शन में शामिल
- कुलदीप सिंह – धोखाधड़ी और मनी म्यूल नेटवर्क को संचालित करने में मददगार
ED के मुताबिक, ये सभी आरोपी देशभर में फैले साइबर फ्रॉड नेटवर्क का हिस्सा थे और एक बड़े संगठित आपराधिक सिंडिकेट के निर्देशों पर काम कर रहे थे. जांच में खुलासा हुआ कि ठगी के इस जाल को टेलीग्राम ग्रुप्स के जरिए ऑपरेट किया जा रहा था. इन ग्रुप्स के मेंबर्स Jennifer, Alan, Tom, Tom-Support जैसे नामों से जुड़े थे.
ED की चार्जशीट के मुताबिक फ्रॉड कैसे होता था
फर्जी निवेश योजनाएं, सट्टेबाजी और पार्ट-टाइम जॉब्स का झांसा देकर लोगों से संपर्क किया जाता था. ठगी गई रकम को मनी म्यूल्स के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किया जाता था. ये पैसे आगे क्रिप्टोकरेंसी में बदले जाते और PYYPL (यूएई स्थित फिनटेक कंपनी) जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर दुबई भेजे जाते. वहां से पैसे को कैश या क्रिप्टो वॉलेट्स के जरिए वापस ट्रांसफर किया जाता.
PYYPL प्लेटफॉर्म के जरिए मिला सुराग
ED ने फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) इंडिया और भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C) के साथ मिलकर जांच की और इस संगठित साइबर क्राइम का भंडाफोड़ किया.ED ने इस मामले में कई संपत्तियां जब्त और अटैच की हैं, जिनमें 1.36 करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी (Private Crypto Wallets में), 7 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी (धारा 5, PMLA के तहत अस्थायी रूप से अटैच), 47 लाख रुपये नकद जब्त शामिल है.
इसके अलावा, जांच एजेंसी ने लैपटॉप, iPads, स्मार्टफोन्स, प्राइवेट क्रिप्टो वॉलेट्स, कई बैंक अकाउंट्स, चेक बुक्स और ATM कार्ड्स भी जब्त किए हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच जारी है. ED की इस मामले में जांच अभी जारी है. आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते है.
ये भी पढ़ें : ‘SC का सम्मान, लेकिन नहीं मान सकती फैसला’, टीचर भर्तियों पर मिला ‘सुप्रीम’ झटका तो बोलीं ममता बनर्जी