Doctor Told What To Do In Case Of Brain Stroke, Prevention And Treatment Of Brain Stroke
Brain Stroke: स्ट्रोक जिसे कभी-कभी दिमाग का दौरा भी कहा जाता है. सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार ये तब होता है जब कोई चीज ब्रेन के हिस्से में ब्लड सप्लाई को ब्लॉक कर देती है या जब ब्रेन में ब्लड वेसल्स फट जाती है. किसी भी स्थिति में ब्रेन के कुछ हिस्से डैमेज हो जाते हैं. स्ट्रोक के कारण स्थायी ब्रेन डैमेज, लॉन्ग टर्म डिसेबिलिटी या यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है. हालांकि ब्रेन स्ट्रोक होने पर अगर सही इलाज दिया जाए तो मरीज को जल्दी ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के उपाय अपनाना भी बेहद जरूरी है. आइए इन सभी पहलुओं को अमृता अस्पताल (फरीदाबाद) के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के एचओडी डॉक्टर संजय पांडे से समझते हैं, जिन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत में ब्रेन स्ट्रोक के इलाज और बचाव से जुड़ी अहम जानकारी दी.
ब्रेन स्ट्रोक से बचने का तरीका | How To Prevent Brain Stroke
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सवाल – एक मिथ है कि ब्रेन स्ट्रोक के बाद आप ठीक नहीं हो सकते. क्या ब्रेन स्ट्रोक का उपचार मौजूद है? इसमें किस तरह के इलाज किया जाता है.
जवाब – ब्रेन स्ट्रोक का इलाज बिल्कुल है. पेशेंट को क्लॉट बस्टर दे सकते हैं. अगर ब्रेन की आर्टरी में प्रॉब्लम है, तो उसको हम चौड़ा कर सकते हैं या ब्रेन में अगर कोई विकार पहले से मौजूद है, जैसे कि पेशेंट को एनोरेजियम हो जाता है तो उसको ट्रीट कर सकते हैं. आजकल तो मॉडर्न और एडवांस ट्रीटमेंट आ गए हैं, न्यूरो इंटरवेंशन आ चुके हैं, न्यूरो सर्जरी हैं या दवाएं आ गई हैं. क्लॉट बस्टर हैं, जैसे हम थ्रंबोलाइसिस करते हैं. तो बहुत सारे तरीके हैं स्ट्रोक ट्रीट करने के लिए अपनाए जा सकते हैं. स्ट्रोक होने के बाद ट्रीटमेंट जरूरी है. स्ट्रोक आने के बाद मरीज को टाइम पर अस्पताल लाएं. मरीज को समय पर अस्पताल ले आते हैं तो ट्रीटमेंट पूरा हो सकता है. देरी करेंगे तो फिर प्रॉब्लम हो सकती है.
सवाल – ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए किन उपायों को अपनाया जा सकता है?
जवाब – ब्रेन स्ट्रोक से बचने का सटीक उपाय है मॉडिफाइबल रिस्क फैक्टर है जो भी खामियां हैं हमें उनको मॉडिफाई करना है. जैसे स्मोकिंग, अल्कोहल, लिपिड की मात्रा, शुगर की मात्रा या हाई सॉल्ट इनटेक. इन आदतों को हम बड़े आराम से या थोड़ी कोशिश करके से कम कर सकते हैं, क्योंकि ये मॉडिफाइबल रिस्क फैक्टर हैं. पिछले कुछ सालों में ये आदतें लोगों में तेजी से बढ़ी हैं. इनके अलावा स्ट्रेस और एंजायटी भी एक बहुत बड़ी समस्या है जो कि स्ट्रोक का कारण हो सकती हैं. इन्हें मॉडिफाई कर इनसे बचने की जरूरत है.
(डॉक्टर संजय पांडे, अमृता अस्पताल फरीदाबाद के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के एचओडी)
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.