Sports

DMK Was Party To Katchatheevu Talks With Sri Lanka: External Affairs Minister S. Jaishankar – श्रीलंका के साथ कच्चातिवु वार्ता में DMK पक्षकार थी : विदेश मंत्री एस. जयशंकर



यहां मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तमिलनाडु के लोगों को सच्चाई पता होनी चाहिए. यह कैसे हुआ? ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि जब केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बातचीत कर रही थी, तो वे वास्तव में तत्कालीन राज्य सरकार से परामर्श कर रहे थे, जिसका नेतृत्व द्रमुक कर रही थी, लेकिन इसे गुप्त रखा गया था.”

उन्होंने कहा, “इसलिए, द्रमुक इन वार्ताओं में काफी हद तक एक पक्ष थी, इसके नतीजे में भी काफी हद तक एक पक्ष थी.” सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिये अब सार्वजनिक हुए दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें (दस्तावेज में) बताया गया है कि 1973 के बाद से, तत्कालीन केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर तमिलनाडु सरकार एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के साथ व्यक्तिगत रूप से निरंतर और विस्तृत परामर्श किया था.

द्रमुक के तमिलों और मछुआरों के हितैषी होने के दावों पर कटाक्ष करते हुए जयशंकर ने दावा किया कि वास्तव में, द्रमुक की स्थिति यह थी, “ठीक है, हम इन सभी से सहमत हैं, लेकिन आप जानते हैं, सार्वजनिक रूप से हम इसका समर्थन नहीं करेंगे. इसलिए, सार्वजनिक रूप से, हम कुछ और कहेंगे, लेकिन वास्तव में हम इस पर आपके साथ हैं.”

उन्होंने कहा कि द्वीप का मुद्दा अक्सर संसद में उठाया जाता रहा है और केंद्र व राज्य सरकार के बीच यह लगातार पत्राचार का विषय रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मुझे याद है कि इस मुद्दे पर मुझे (तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को) 20 से अधिक पत्रों का उत्तर देना पड़ा है.”

इससे पहले एक अप्रैल को, जयशंकर ने दावा किया था कि कांग्रेस के (तत्कालीन) प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर ऐसी उदासीनता दिखायी जैसे उन्हें कोई परवाह ही नहीं हो और (तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने) भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया, जबकि कानूनी राय इसके खिलाफ थी.

उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु को एक ‘‘छोटा द्वीप” और ‘‘छोटी चट्टान” बताया था. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अचानक सामने नहीं आया है बल्कि यह हमेशा से एक जीवंत मुद्दा रहा है.

उन्होंने कहा कि इसके रिकॉर्ड मौजूद हैं कि तत्कालीन विदेश सचिव ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एम करुणानिधि को दोनों देशों के बीच हुई बातचीत की पूरी जानकारी दी थी.

उन्होंने क्षेत्रीय दल द्रमुक पर कांग्रेस के साथ 1974 में और उसके बाद एक ऐसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया जो ‘बड़ी चिंता’ का कारण है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *