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Dispute Over Nishant Kumar in JDU MLC Bhagwan Singh Kushwaha Lalu Yadav CM Nitish Kumar | निशांत को लेकर JDU में विरोध शुरू! CM नीतीश कुमार के इस नेता ने कहा


Bihar Politics: सीएम नीतीश कुमार के बेटे राजनीति में आएं यह जेडीयू के नेता भगवान सिंह कुशवाहा नहीं चाहते हैं. उन्होंने एक तरह से इसका विरोध किया है. सोमवार (17 मार्च, 2025) को उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत को सक्रिय राजनीति में लाने की चर्चा पर असहमति जताई. कहा कि अगर निशांत को जेडीयू की कमान सौंपी जाती है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगा.

जेडीयू एमएलसी भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा, “मैंने कभी भी पार्टी के किसी भी प्रमुख नेता, यहां तक ​​कि प्रवक्ताओं को भी निशांत के बारे में कुछ कहते नहीं देखा. शोर-शराबा ज्यादातर मीडिया में है.” कुशवाहा ने निशांत के राजनीति में प्रवेश के पक्षधर होने के सवाल पर कहा, “मेरी इच्छा का क्या मतलब है? जेडीयू में नीतीश कुमार का हुक्म चलेगा.” होली के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक समारोह में केंद्र बिंदु बने निशांत के बारे में पूछे गए सवालों का भगवान सिंह कुशवाहा जवाब दे रहे थे. 

‘मैंने निशांत से मिलने की कोई कोशिश नहीं की’

सीएम आवास पर होली समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में निशांत के साथ फोटो खिंचवाने की होड़ लगी हुई थी. निशांत को उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है. जेडीयू कार्यालय में लगे एक पोस्टर में निशांत को बिहार की आवाज सुनने के लिए धन्यवाद दिया गया है, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका राजनीतिक प्रवेश बस कुछ ही दिनों की बात है. कुशवाहा ने इन अटकलों पर असहमति जताते हुए कहा, “मैं भी मुख्यमंत्री के आवास गया था लेकिन मैंने नीतीश कुमार का अभिवादन किया. मैंने निशांत से मिलने की कोई कोशिश नहीं की.”

उन्होंने मीडिया के एक वर्ग में उन अटकलों पर नाराजगी जताई, जिनमें निशांत को नीतीश की जगह देने की बात कही जा रही है. कुशवाहा ने कहा, “अगर ऐसा हुआ तो नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगा. क्या ऐसा होना चाहिए?” 

इस बीच नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी और जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने जोर देकर कहा कि निशांत का राजनीति में प्रवेश कोई राजनीतिक सवाल नहीं है. इस बारे में निर्णय उन्हें (पिता-पुत्र) लेना है. एक बार जब वे फैसला ले लेंगे तो औपचारिकताएं पूरी करने में एक दिन भी नहीं लगेगा.

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