Devendra Fadnavis Claims It Was Sharad Pawar Idea To Impose President Rule NCP Chief Responded Now
Devendra Fadnavis Vs Sharad Pawar: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार (4 अक्टूबर) को दावा किया कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 2019 में राज्य में राष्ट्रपति शासन का सुझाव दिया था. उन्होंने यहां तक कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने का आइडिया ही शरद पवार का था. डिप्टी सीएम के इस दावे पर एनसीपी प्रमुख ने जवाब दिया है.
क्या कहा देवेंद्र फडणवीस ने?
देवेंद्र फडणवीस ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा कि शरद पवार नई-नई बातें बताते हैं. उन्होंने कहा, ”उन्होंने (शरद पवार) एक दिन ये बोल दिया कि राष्ट्रपति शासन उठाना था इसलिए मैंने ये किया. मैं उसकी सच्चाई बताता हूं. राष्ट्रपति शासन लगाने का आइडिया ही शरद पवार जी का था. शरद पवार जी ने ही कहा कि देखो मैं इतने जल्दी यूटर्न नहीं ले सकता, आप राष्ट्रपति शासन लगाइए, राष्ट्रपति शासन लगने के बाद मैं महाराष्ट्र का दौरा करूंगा और फिर मैं ये भूमिका लूंगा कि महाराष्ट्र को स्टेबल गवर्नमेंट चाहिए, इसलिए हम बीजेपी के साथ जा रहे हैं और फिर अपनी संख्या हो जाती है तो ऑटोमेटिक राष्ट्रपति शासन उठ जाएगा.”
‘एनसीपी का लेटर मैंने टाइप किया था’
फडणवीस ने आगे कहा, ”राष्ट्रपति शासन जब लगता है तो एक-एक पार्टी को लेटर देकर पूछा जाता है कि आप सरकार बनाओगे क्या. वैसा ही लेटर एनसीपी को दिया गया… जो एनसीपी का लेटर था वो मैंने टाइप किया था, ये मेरे घर पर टाइप हुआ था और उसके ऊपर पवार साहब ने उसमें कुछ करेक्शंस बताए थे, उन करेक्शंस को एक्जीक्यूट करके वो पत्र एनसीपी का दिया गया कि हम भी सरकार नहीं बनाना चाहते, तब जाकर राष्ट्रपति शासन लगा था…”
फडणवीस के दावे पर शरद पवार का जवाब
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शरद पवार ने देवेंद्र फडणवीस के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि वह पवार ही थे जिन्होंने राज्य में 2019 विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन के गतिरोध के बीच राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी.
पवार ने कहा, ‘‘अगर उन्होंने (बीजेपी) राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया तो हमें इसे मना क्यों करना चाहिए. उनके पास संख्या बल है, वे मेरी बात क्यों सुनेंगे.’’
बता दें कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राज्य की 288 सीटों में से बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं. उस समय शिवसेना बीजेपी के साथ गठबंधन में थी लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों में विवाद गहरा गया था. इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म कर लिया था. इस विवाद से उपजी राजनीतिक गतिरोध की स्थिति के चलते महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था.
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